हो सकता है नुकसान; भदभदा डैम के गेटों का आधा हिस्सा कलियासाेत के बैकवाटर में डूबा

यह है भदभदा और कलियासोत डैम का 360 डिग्री व्यू। दाेनाें डैम लबालब नजर आ रहे हैं। कलियासाेत फुल रिजरवायर लेवल (एफआरएल) 505.67 मीटर पर और भदभदा डैम फुल टैंक लेवल 1666.80 फीट पर है। देखने में यह नजारा बहुत खूबसूरत लग रहा है, लेकिन विशेषज्ञों की चिंता इससे अलग है। उनका कहना है कि कलियासोत में लगातार इतना पानी भरा रहने से भदभदा डैम के गेटाें काे नुकसान पहुंच सकता है।

पीएचई के रिटायर्ड एक्जीक्यूटिव इंजीनियर आरबी राय कहते हैं कि कलियासाेत डैम का लेवल अब एफआरएल तक रखने की जरूरत नहीं है। इसे कम रखना चाहिए। इसकी वजह यह है कि कलियासाेत का कमांड एरिया यानी सिंचाई क्षेत्र 30 फीसदी कम हाे गया है। इसके पूरा भरे रहने से भदभदा के गेटाें पर डाउन स्ट्रीम से भी प्रेशर पड़ रहा है। भदभदा के गेटाें में लगी रबर सील सिर्फ एक तरफ यानी बड़े तालाब की ओर के पानी के प्रेशर काे झेल सकती हैं। कलियासाेत तरफ से पानी का प्रेशर जाएगा ताे गेटाें की रबर सील टूटने लगती हैं। गेटाें में तीन तरफ से यह लगी हैं।

ऐसे समझें क्या और कैसे नुकसान
यदि रबर सील डैमेज हाेंगी ताे गेटाें से पानी रिसेगा। यानी बड़े तालाब का पानी बहकर बिना गेट खाेले ही कलियासाेत में चला जाएगा। इससे बड़े तालाब का लेवल भी कम हाेगा और गर्मी में शहरी इलाके में पानी सप्लाई की मात्रा पर असर पड़ेगा।

डैम में कोई सेफ्टी गेट नहीं, 1654 फीट से नीचे आने पर ही होगा मेंटेनेंस
1962 में जब भदभदा डैम बना तब कलियासाेत नहीं बना था। तब डाउन स्ट्रीम साइड यानी भदभदा के गेटाें में पानी नहीं चढ़ता था। ये गेट पुरानी तकनीक से बने हैं। इनमें सैफ्टी गेट का प्रावधान ही नहीं था, इसीलिए इनका मेंटेनेंस तब तक संभव नहीं जब तक लेवल 1654 फीट से नीचे नहीं पहुंच जाए।

हमारा उद्देश्य-पानी की एक-एक बूंद बचे
पानी की एक-एक बूंद बचाना जरूरी है। सिंचाई के मद्देनजर लेवल कम नहीं रखा जा सकता। 2006 से जबसे गेट लगे हैं तब से सिंचाई के आंकड़े देखेंगे ताे सकारात्मक असर हुआ है। जिन वर्षाें में बारिश कम हुई तब कलियासाेत का पानी ही सिंचाई के काम आया। रही बात रबर सील की ताे इससे उसे नुकसान की काेई संभावना नहीं है।
- अशाेक सक्सेना, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, जल संसाधन विभाग, भाेपाल डिवीजन



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Damage may occur; Half of the gates of Bhadbhada dam were submerged in the backwaters of Kaliyashet


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