बंगाली समाज स्थापित नहीं करेगा प्रतिमा, सिर्फ तस्वीर की पूजा-अर्चना होगी; कोरोना को देखते हुए लिया निर्णय

अधिकमास के चलते इस बार 17 अक्टूबर से दुर्गा उत्सव की शुरुआत होगी। बंगाली समाज के नौलखा स्थित बंगाली क्लब ने कोरोना संक्रमण से समाजजन को बचाने के लिए निर्णय लिया है कि दुर्गा प्रतिमा की स्थापना नहीं की जाएगी। परंपरा को कायम रखते हुए सिर्फ घटस्थापना कर पूजा-अर्चना की जाएगी। दुर्गा पंडाल में कलश के पीछे माता दुर्गा की तस्वीर लगाई जाएगी। न कोई मेला लगेगा, न ही सामूहिक प्रसाद वितरण होगा और न कोई स्टॉल लगाए जाएंगे। पूजा के लिए कोलकाता से पुरोहित भी नहीं आ रहे हैं।

एक बार में सिर्फ 50 लोगों को ही मिलेगा प्रवेश, बाहर से पूजन सामग्री लेने पर प्रतिबंध रहेगा
बंगाली समाज नवरात्रि में षष्ठी के दिन 22 अक्टूबर को परंपरानुसार घटस्थापना करेगा। पूजा कमेटी के सभापति जयंतनाथ चौधरी व संयोजक रविशंकर रायचौधरी ने बताया समाज हित में निर्णय लिया है कि इस बार मां दुर्गा के साथ गणेश, मां लक्ष्मी, माता सरस्वती और कार्तिकेय की प्रतिमा विराजित नहीं की जाएगी। दुर्गा पंडाल में माता दुर्गा की तस्वीर लगाई जाएगी। कलश स्थापना कर सुबह-शाम पूजन होगा। बंगाली क्लब परिसर में एक बार में 50 लोगों को प्रवेश दिया जाएगा। इन 50 लोगों को बाहर करने के बाद ही दूसरे 50 लोगों को प्रवेश देंगे। बाहर से पूजन सामग्री लेने पर प्रतिबंध रहेगा। सेक्रेटरी रवि नंदी ने बताया परिसर में ही सशुल्क पूजन सामग्री मिलेगी।

स्थापना ऐसे... बिल्व पत्र के पेड़ के नीचे होगा माताजी का आह्वान
डॉ. विशाल भट्टाचार्य के मुताबिक षष्ठी के दिन परिसर में स्थित बिल्व पत्र के पेड़ के नीचे देवी का बोधन और आह्वान करेंगे। इसमें नौ दिव्य पेड़ों की टहनियों को एकत्रित करके देवी के स्वरूप में पूजा होगी। इसमें केला, बिल्व, हल्दी, जयंती, अवार, अशोक, धान, मनकोशु और अपराजिता पेड़ों की टहनियों में देवी का वास माना जाता है। इन्हीं का उपयोग कर देवी का स्वरूप बनाकर पूजा की जाएगी। साथ में अष्ट धातु के कलश में पंच पल्लव एवं हरे नारियल रखकर घटस्थापना की जाएगी। सप्तमी, अष्टमी और नवमी पर भी नव पत्रिका का पूजन होगा। दशमी पर 26 अक्टूबर को उत्सव का समापन होगा।



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बंगाली चौराहा स्थित प्रतिमा निर्माण स्थल पर कारीगर माता की मूर्तियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। मूर्ति निर्माता शक्तिपाल सिंह ने बताया इस बार उन्होंने अपने छह कारीगर विमान से बुलवाए हैं, ताकि मूर्तियां जल्द तैयार कर सकें।


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