खेत में ही सड़-गल गया प्याज, पता ही नहीं चला कीड़े हैं या वायरस का अटैक; मनमर्जी से छिड़कते रहे दवा

कोरोना वायरस अटैक के बाद अब प्याज पर भी वायरस अटैक हुआ है, लेकिन इस वायरस का नाम अब तक पता नहीं चल पाया। अगस्त से अब तक करीब 7 हजार हेक्टेयर में जिले के विभिन्न गांवों में प्याज की बोवनी की गई, जो खेत में ही खत्म हो गई।
कृषि वैज्ञानिक व उद्यानिकी विभाग के अधिकारी भी इस वायरस अटैक से अनभिज्ञ हैं। क्योंकि वह अब तक खेतों में नहीं गए। किसानों ने कहा कि अगर वैज्ञानिक समय पर इस बीमारी का इलाज बता देते तो आज खेत के खेत नहीं सड़ते। हमें आर्थिक रूप से नुकसान नहीं होता। खेतों में प्याज की फसल को सड़ते-गलते देख किसानों ने तीन-चार प्रकार की दवाओं का छिड़काव कर दिया, फिर भी प्याज को बचा नहीं सके। किसानों का दर्द और जिम्मेदार विभाग के अफसरों की लापरवाही पर लाइव रिपोर्ट...
प्याज को बचाने के लिए दवा का छिड़काव कर मेरे कंधे और कमर टूट गई हैं
आपबीती... तीन एकड़ में बुआई में सवा लाख रुपए खर्च किए
छैगांवमाखन के हैदरपुर-जैनपुर गांव में प्याज के सड़े-गले पौधों को देख किसान भगवान पटेल और पत्नी ये तय नहीं कर पा रहे थे कि इनका करना क्या है। भगवान बोले साढ़े तीन एकड़ खेत में प्याज की बोवनी की। अब तक सवा लाख रुपए खर्च कर चुका हूं। प्याज पर पता नहीं कौन सी बीमारी ने अटैक किया है। खड़े पौधे की टोहनी जलकर जमीन पर गिरकर जलेबी की तरह घूमकर प्याज सड़ा रहा है। प्याज का हर पौधा इसी तरह सड़ रहा है। अगस्त में प्याज लगाई थी। अक्टूबर तक निकल जाती। अब बीच में ही पूरी फसल खत्म हो गई। 60 साल की उम्र में ऐसा पहली बार हुआ जब चार-पांच प्रकार की अलग-अलग कीटनाशक का छिड़काव करने के बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ। कीड़े मारने की दवा में भी मिलावट दिख रही है। दवा का छिड़काव कर मेरे कंधे और कमर टूट गई। ये मेरी ही नहीं, बल्कि सभी किसानों की यही कहानी है। कृषि विभाग को इस पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।
अनुमान... 30 फीसदी तक प्याज खेतों में सड़ गई
भारतीय किसान संघ संयोजक सुभाष पटेल ने बताया कि जिले के किसानों ने अगस्त में प्याज की बोवनी की है। एक अनुमान के अनुसार 7 हजार हेक्टेयर में प्याज लगाई है। जिसका 30 फीसदी हिस्सा पिछले 15 दिनों में सड़ गया। अगर कृषि वैज्ञानिक समय रहते हुए खेतों में जाकर पड़ताल करते तो इतना नुकसान नहीं होता। न तो किसान को पता चल पाया और न ही कृषि वैज्ञानिकों ने कोशिश की। हजारों हेक्टेयर में खेत के खेत सड़ने के बाद भी कृषि विभाग व उद्यानिक विभाग के अधिकारी अनभिज्ञ हैं। एक भी अधिकारी खेत में नहीं पहुंचा। इसलिए उन्हें पता ही नहीं है कि प्याज पर वायरस का अटैक है या फिर कीड़ों का।
किसान बोले- प्रति एकड़ 40 हजार रुपए का नुकसान हुआ है
किसानों के अनुसार अगस्त में लगाया हुआ पौधा अब एक से डेढ़ माह का हो गया। प्रति एकड़ 40 हजार रुपए अब तक खर्च हो चुका है। अब आगे कोई उम्मीद नहीं है। इसलिए अब यह जगह पर ही खत्म हो जाएगा।
बाजार में बिक रहा नकली कीटनाशक
कहावत है कीड़े मारने की दवा में ही कीड़े पड़ जाए तो फिर इलाज कैसे होगा। बाजार में इन दिनों नकली कीटनाशक बड़ी मात्रा में बिक रहा है। जिम्मेदार विभाग जांच तक नहीं करता। किसानों के अनुसार दवाओं की क्वालिटी खराब आ रही है। दवाओं में मिलावट कर ब्रांडेड कंपनी के नाम से बेच रहे हैं। कहने को तो खंडवा में कृषि अनुसंधान केंद्र है। प्याज की पूरी फसल खेतों में सड़ गई।
आमने-सामने...
खेतों में पानी निकासी नहीं हो रही है
^इस साल मौसम भी अनुकूल नहीं था। पानी गिरने के बाद उमस भी नहीं जा रही है। खेतों में पानी निकासी नहीं हो रही है। इस कारण पत्तियां पीली हो रही हैं। प्याज भी जगह पर ही सड़ और गल रही है। कल (सोमवार) से अधिकारियों को खेतों में निरीक्षण के लिए भेजेंगे।
मोहनसिंह मुजाल्दा, उपसंचालक, उद्यानिकी
खेतों में इतना पानी नहीं जो प्याज काे सड़ा दे
^प्याज के अनुकूल बारिश हुई है। खेतों में इतना पानी जमा नहीं, जो प्याज को सड़ा दे। पहले भी इस तरह प्रकार की स्थिति बनी। कृषि वैज्ञानिक अगर टेक्निकल रिसर्च करे तो किसानों को राहत मिल सकती है। यह बात सही है कि कम-ज्यादा बारिश के कारण मिट्टी में कीटाणु पैदा होते हैं।
सुभाष पटेल, जिला संयाेजक, भारतीय किसान संघ
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