आईपीएस रघुवीर सिंह मीणा के नोटिस तामीली के दस्तावेज हाईकोर्ट में पेश

प्रदेश के आईपीएस रघुवीर सिंह मीणा की जाति प्रमाण पत्र के मामले में नोटिस तामीली से संबंधित दस्तावेज राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में पेश किए हैं। चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल और जस्टिस सुजय पॉल की युगलपीठ ने अगली सुनवाई 9 सितंबर को निर्धारित की है।
मीणा का दावा है कि उन्हें आईजी (विजिलेंस) सीआईडी के जरिए कभी भी 6 नवम्बर 2015 की तारीख का कोई नोटिस ही नहीं मिला। बुधवार को सुनवाई के दौरान आवेदक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शोभा मेनन, अधिवक्ता राहुल चौबे और राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्पेन्द्र यादव हाजिर हुए।
सोम डिस्टलरीज की अर्जी पर सरकार व अन्य को नोटिस|
जीएसटी चोरी के आरोपों में घिरी सोम डिस्टलरीज की उस अर्जी पर सीजे की अध्यक्षता वाली बैंच ने बुधवार को नोटिस जारी किए, जिसमें सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाई पर रोक की माँग की गई है।
सुनवाई के दौरान कंपनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी, जीएसटी काउंसिल की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ सेठ, केन्द्र सरकार की ओर से एएसजी जेके जैन, केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड की ओर से अधिवक्ता हिमान्शु श्रीवास्तव और राज्य सरकार की ओर से उपमहाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली हाजिर हुए।
चलने लायक हो गई पायली गाँव की सड़क
पायली गाँव की बदहाली को लेकर वहाँ के वाशिन्दों की पत्र याचिका पर सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि वहाँ की सड़क चलने लायक बना दी गई है। इस दावे के समर्थन में वहाँ के फोटोग्राफ्स भी पेश किए गए।
उनके रिकाॅर्ड पर न होने के मद्देनजर सीजे की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने सुनवाई 10 सितंबर तक के लिए मुल्तवी कर दी। मामले में अदालत मित्र के रूप में अधिवक्ता राहुल दिवाकर व शासन की ओर से उपमहाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली पैरवी कर रहे हैं।
सोमवार तक रोकी गई स्टेट बार की मतगणना
मप्र राज्य अधिवक्ता परिषद की नई कार्यकारिणी की अंतिम चरण की मतगणना बुधवार को मतगणना टीम के कुछ सदस्य व काउंसिल के कर्मचारी की अस्वस्थता के चलते आगामी सोमवार तक के लिए रोक दी गई। निर्वाचन अधिकारी प्रशांत दुबे ने बताया कि सदस्यों और कर्मचारी की अस्वस्थता को संजीदगी से लेते हुए विशेष समिति के अध्यक्ष व महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने मतगणना को कुछ दिनों के लिए रोकने के निर्देश दिए।
26.60 लाख में दी गई पीजी की सीट
हाईकोर्ट की इंदौर खण्डपीठ ने बुधवार को उस मामले पर नोटिस जारी करने के निर्देश दिए, जिसमें पीजी कोटे की एक सीट 26 लाख 60 हजार रुपए में एमबीबीएस के एक छात्र को देने का आरोप है।
जस्टिस एससी शर्मा और जस्टिस शैलेन्द्र शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष याचिकाकर्ता डॉ. उपमा श्री की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पक्ष रखा। उनकी दलील थी कि चिकित्सा शिक्षा की स्नातकोत्तर कक्षाओं में दाखिले का यह मामला किसी बड़े घोटाले से कम नहीं है।
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