54 किमी लंबी नदी में 6 माह ही पानी रहता था, पुनर्जीवन से 12 माह बहने लगी, सिंचित क्षेत्र 1.5 लाख हेक्टेयर बढ़ गया

54 किमी लंबी कावेरी नदी में छह महीने भी पानी नहीं रह पाता था। नदी के पुनर्जीवन से अब वह 12 महीने बहने लगी। नदी का जलस्तर भी एक साल में 1.59 मीटर बढ़ गया। यही नहीं, पुनर्जीवन से सिंचाई का रकबा भी 3.5 लाख हेक्टेयर बढ़ गया। इन्हीं बेहतर कार्यों की बदौलत केंद्रीय जल शक्ति मिशन ने जिले को देश के 3381 जिलों में बेस्ट डिस्ट्रिक्ट रिवाइवल ऑफ रीवर का अवार्ड दिया है। अत्याधिक भूजल के दोहन, जल संरक्षण व संवर्धन का अभाव, सूखा, भू-जल स्तर में कमी, ग्राम पंचायतों में पेयजल की समस्या होने से जिले में कावेरी नदी सूख गई थी।

नदी को पुनर्जीवित करने एवं जलस्तर बढ़ाने के लिए फरवरी 2019 में मनरेगा के तहत जिले की कावेरी नदी का चयन किया गया। खंडवा, छैगांवमाखन व पुनासा की 32 ग्राम पंचायतों के 51 गांवों से गुजरने वाली 54 किमी लंबी नदी के पुनर्जीवन के लिए जिले को शासन से 235 करोड़ रु. का प्रोजेक्ट मिला। जिला पंचायत के माध्यम से तीनों ब्लाक की जनपद पंचायतों द्वारा नदी के पुनर्जीवन के लिए 11 महीने तक 2.50 लाख मजदूरों ने काम किया।

बारिश के पानी को बहने से रोकने के लिए कन्टूर, लूज बोल्डर, गेबियन, खेत तालाब, पोखर तालाब, निस्तार तालाब, परकोलेशन तालाब, स्टापडेम, चेकडैम, नाला विस्तारीकरण, मोख्ता गड्‌ढा आदि का निर्माण किया। निर्माण करने वाले मजदूरों को 10.30 करोड़ की मजदूरी दी गई। 235 करोड़ रु. के प्रोजेक्ट पर अब तक 45 करोड़ रु. खर्च हो चुके हैं। राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धि के बाद अब जिले ने 15 किमी लंबी एक और नदी रूपारेल को भी प्राेजेक्ट में शामिल किया है।

नदी पुनर्जीवन क्या है? : ऐसी नदियां जो वर्षाकाल के बाद सूख जाती हैं और इस पर आधारित आजीविका और पारिस्थितिक तंत्र प्रभावित होता है, उन नदियों को सदानीरा बनाया जाता है। नदी में बारह महीने पानी का सतत प्रवाह बनाए रखने के लिए नदी पुनर्जीवन योजना चलाई जाती है। इसी योजना के तहत देशभर के 3381 जिलों में खंडवा जिले को भी शामिल किया गया था।

ग्रामीणों को जागरूक किया : नदी पुनर्जीवन के लिए नदी पुनर्जीवन कार्यक्रम आयोजित किए गए। जिसमें नदी के कैचमेंट में शामिल ग्रामों में ना केवल जल संरक्षण व संवर्धन के कामों का आयोजन किया गया बल्कि गांवों के विकास को ध्यान में रखते हुए कृषि, पशुधन स्वास्थ्य, स्वच्छता, आजीविका आदि के कार्य कर ग्रामीणों का संपूर्ण विकास सुनिश्चित कर लोगों में जागरूकता लाई गई।

16 तरह के पुरस्कार, नदी पुनर्जीवन में हमारा जिला देश में पहले नंबर पर

जिला पंचायत सीईओ राेशन कुमार सिंह ने बताया आकांक्षी जिलों की श्रेणी में राष्ट्रीय स्तर पर 16 तरह के पुरस्कार थे। जिसमें बेस्ट स्टेट नार्मल, बेस्ट स्टेट स्पेशल, बेस्ट डिस्ट्रिक्ट रिवाइवल ऑफ वाटर कंजर्वेशन, बेस्ट विलेज पंचायत, बेस्ट अर्बन लोकल बॉडी, बेस्ट रिसर्च-इनोवेशन-अडॉप्टेशन ऑफ न्यू टेक्नोलॉजी फाॅर वाटर कंजर्वेशन, बेस्ट एजुकेशन-मास अवेयरनेस एफर्ट्स, बेस्ट टीवी शो फॉर प्रमोटिंग वाटर कंजर्वेशन, बेस्ट न्यूज पेपर हिंदी, बेस्ट न्यूज पेपर अंग्रेजी, बेस्ट न्यूज पेपर रीजनल, बेस्ट स्कूल, बेस्ट इंस्टीट्यूशन, बेस्ट इंडस्ट्री फॉर इंडस्ट्रीयल वाटर कंजर्वेशन, बेस्ट वाटर रेगुलेटरी ऑथरेटिंग, बेस्ट वाटर बेरियर, बेस्ट एनजीओ फॉर वाटर कंजर्वेशन, बेस्ट वाटर यूसर एसोसिएशन व बेस्ट इंडस्ट्री फॉर सीएसआर एक्टिविटी जैसे पुरस्कार शामिल थे।

ऐसे हुआ जल का संवर्धन और संरक्षण

3 जनपद पंचायतों की 35 ग्राम पंचायतों के नदी कैचमेंट 47091 हेक्टेयर क्षेत्र में रिज टू वैली सिद्धांत के आधार पर जल संरक्षण, जल संवर्धन के तहत 75 कन्टूर, 350 लूज बोल्डर, 45 गेबियन, 38 खेत तालाब, 35 पोखर तालाब, 15 निस्तार तालाब, 69 परकोलेशन तालाब, 110 वृक्षारोपण, 65 स्टापडेम, 85 चेकडैम, 125 नाला विस्तारीकरण, 65 मोख्ता गड्डा, 70 रिचार्ज पीट व 201 डाईक का निर्माण किया गया। 1 वर्ष में इन कार्यों से 234 हेक्टेयर में वाटर कंपाउंडिंग केपिसिटी में वृद्धि हुई है ।

कैसे हुआ खंडवा जिले का चयन

11 महीने तक कार्य करने के बाद जिला पंचायत द्वारा पुरस्कार की 16 गतिविधियों में से बेस्ट डिस्ट्रिक्ट रिवाइवल ऑफ रीवर के लिए जल शक्ति मिशन दिल्ली को ऑनलाइन आवेदन भेजा गया। आवेदन के बाद जलशक्ति मिशन केंद्रीय दल आयोग भोपाल के निदेशक मनोज पवनीकर व उनकी टीम ने मौका निरीक्षण कर रिकार्ड देखे और मंत्रालय में रिपोर्ट पेश की। मंत्रालय में बैठी पैनल ने सभी जिलों का एनालिसिस किया जिसमंे खंडवा जिले को पहला स्थान मिला।

कावेश्वर है कावेरी का उद्गम स्थल

कावेरी नदी का उद्गम स्थल जनपद पंचायत खंडवा की ग्राम पंचायत कवेश्वर से हुआ है। नदी का समापन जनपद पंचायत पुनासा के इंदिरा सागर बांध में होता है। नदी की लंबाई 54 किमी, नदी का कैचमेंट एरिया 47091 हेक्टेयर मीटर है।

ऐसे बढ़ा नदी का भूजल स्तर, सिंचित क्षेत्र

  • जनवरी 2019 में कावेरी नदी का भूजल स्तर 6.70 एमबीजीएल था जो जनवरी 2020 में 5.11 एमबीजीएल हो गया। याने जलस्तर 1.59 मीटर बढ़ गया।
  • कावेरी नदी के आसपास का सिंचित क्षेत्र 2017-18 में 2 लाख 22 हजार हेक्टेयर था, जो जनवरी 2020 में बढ़कर 3.5 लाख हेक्टेयर हो गया।

फंड नहीं था फिर भी काम नहीं रुका, इसीलिए बेहतर

नदी पुनर्जीवन के काम की टाइमलाइन होती थी, हर सप्ताह रिव्यू होता था। कार्य के दौरान मनरेगा में फंड नहीं था फिर भी काम नहीं रूका। आचार संहिता व भीषण गर्मी में पूरी टीम ने बेहतर काम किया जिसके कारण यह उपलब्धि मिली है।
-विशेष गढ़पाले, तत्कालीन कलेक्टर, खंडवा

लगातार काम चल रहा है

रूपारेल व कावेरी नदी के लिए पुर्नजीवन के लिए बनाई गई कार्ययोजना पर लगातार काम चल रहा है। आगे भी इसके क्रियान्वयन की दिशा में काम किया जाएगा।
-अनय द्विवेदी, कलेक्टर, खंडवा।

हर माइक्रोशेड में कार्यों का चयन किया गया

जिले में वाटर कंजर्वेशन के तहत दो नदियों का चयन किया गया था। इसमें विस्तृत कार्ययोजना बनाकर हर माइक्रोशेड में कार्यों का चयन किया गया था। मौके की स्थिति के अनुसार निर्माण किया गया। जिसे तहत जिले में कुछ बेहतरीन कंट्रूर स्ट्रक्चर, खेत तालाब एवं चेक डेम का निर्माण हुआ। जिससे जलस्तर में वृद्धि हुई।सूखी नदियों में फिर से प्रवाह शुरू हुआ। इससे किसानों को पानी की उपलब्धता आसानी से होगी।

-रौशनसिंह, सीईओ, जिला पंचायत



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कावेरी नदी के कारण सिंचित हुई भूमि।


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