शहर में लाल मुँह के बंदरों का आतंक त्योहार में बाजार पहुँच रहे लोगों पर कर रहे हमला

शहर के सबसे व्यस्त रिहायशी और व्यापारिक इलाके गंजीपुरा, करमचंद चौक से लेकर रसल चौक के बीच लाल मुँह के बंदरों ने इन दिनों आतंक फैला रखा है। जंगली एरिया से आए करीब 30 से ज्यादा बंदरों की इस टोली ने कई मकानों की छतों पर कब्जा कर रखा है।

बंदरों की यह टोली मकानों की छतों पर रखे गमले और पानी की टंकियों में तोड़फोड़ करने के साथ केबल और बिजली के तारों को उखाड़कर फेंकती रहती है। लाल मुँह के बंदर आक्रमक होते हैं, जिसके कारण लोगों में इनका खौफ ज्यादा रहता है। कुछ घरों की छतों पर कपड़े सुखाने और पुताई करने पहुँचे लोगों पर इन बंदरों ने हमला भी किया है। वन विभाग में कई व्यापारियों और रहवासियों ने शिकायतें भी कीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। लोगों को डर है कि किसी भी दिन कोई बड़ा हादसा हो सकता है।

कॉलोनी वालों से फ्रेंडली हुआ बंदरों का समूह

इधर हाथीताल हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में बंदरों का एक बड़ा समूह कॉलोनीवासियों का दोस्त बन गया है। ठाकुरताल और मदन महल की पहाड़ियों पर बसा यह परिवार सप्ताह में एक दिन कॉलोनी पहुँचता है, जहाँ उन्हें देखकर लोग बेखौफ होकर घरों से निकलते हैं। बंदरों के आने पर उन्हें फल, चना और उनकी पसंदीदा खाने की चीजें लोग देते हैं। बंदरों का व्यवहार काफी सकारात्मक रहता है, वे बच्चों और महिलाओं के बीच खेलते हैं। तीन से चार घंटे कॉलोनी में रहने के बाद बंदर वापस जंगल लौट जाते हैं।पी-2



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Attack on people reaching the market during the festival of Red-faced monkeys in the city


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