गीता कृष्ण की वाणी है जो जीवन का ज्ञान सिखाती है: दुबे

गीता वह संजीवनी है जो निराश मन में आशा के प्राण फूंक देती है। गीता ग्रंथ साक्षात भगवान कृष्ण की वाणी है। गीता ही विश्व का एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जो जीवात्मा को परमात्मा से जोड़ता है। गीता मानव जीवन को संयमित जीवन का ज्ञान सिखाकर हमारे जीवन का व्यवहार बदल देती है।

यह बात सूर्य मंदिर पर आयोजित गीता जयंती महोत्सव में मुख्य वक्ता के रूप मे उपस्थित गीता अध्ययन केंद्र के संचालक एवं वरिष्ठ व्याख्याता संतोष दुबे ने व्यक्त किए। इस अवसर पर बड़ी संख्या में धर्मप्रेमी नागरिक उपस्थित रहे।

वरिष्ठ वक्ता व साहित्यकार शिवनारायण सक्सेना ने अपने उद्बोधन में कहा गीता मनुष्य को कर्मयोग से जोड़ती है। यह अकर्मण्य मन को कर्मठता का पाठ पढ़ाती है। इसका अध्ययन हमें सदमार्ग की ओर ले जाता है।

उन्होंने आगे कहा कि आलस्य इतनी धीमी गति से चलता है इसका एक पैर को गरीबी और दूसरा पैर को दुर्भाग्य पकड़ लेता है। अन्य वक्ता के रूप में सूर्य मंदिर के पुजारी गणेश पंडा दादी ने कहा कि कृष्ण शब्द का भावार्थ सुंदर होता है। वह निष्काम कर्मयोगी है। संसार में भ्रम की स्थिति से निवृति के लिए हमें गीता ग्रंथ का आश्रय लेना चाहिए।
इस अवसर पर मुख्य रूप से बड़े पंडा, महेश कनकने, घनश्याम पटेल, प्रमोद सोनी, विनोद लिटौरिया, ब्रजेन्द्र दुबे, सीताराम सेठ, छोटेलाल श्रीवास्तव, रामसहाय पण्डा, रामेश्वर चतुर्वेदी, केशव यादव, मक्खन लाल मिश्रा, रविन्द्र पाठक,शिवनारायण त्रिपाठी, जगदीश पांडिया, गणेश दुबे, ओमप्रकाश झा, राघवेंद्र मिश्र, अवधेश, कैलाश यादव, कामता विश्वकर्मा सहित बड़ी संख्या में धर्म प्रेमी नागरिक उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में गीता महापुराण की आरती कार्यक्रम के संयोजक बड़े महाराज व महेश कनकने द्वारा उतारी गई।



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Gita is Krishna's voice that teaches knowledge of life: Dubey


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