मनुष्य को कर्तव्य का बोध कराती है भागवत कथा: शास्त्री

भागवत कथा सुनने से मनुष्य को कर्तव्य का बोध होता है। विडंबना ये है कि मृत्यु निश्चित होने के बाद भी हम उसे स्वीकार नहीं करते हैं। निस्काम भाव से प्रभु का स्मरण करने वाले लोग अपना जन्म और मरण दोनों सुधार लेते हैं। यह उपदेश शनिवार को अलोपी शंकर महादेव की तलहटी में स्थित रामजानकी मंदिर परिसर में आयोजित भागवत कथा में कथा वाचक डॉ. ब्रजकिशोर शास्त्री दे रहे थे।
शनिवार को यहां भगवत कथा के तीसरे दिन सत्संग के महत्व पर उपदेश दिए गए। सत्संग से ही संस्कार आते हैं और मनुष्य के जीवन में श्रंगार भर देते हैं। संस्कारवान पुरुष संसार में यश कीर्ति प्रतिष्ठा सब कुछ प्राप्त करता है, वहीं संस्कारहीन व्यक्ति संसार में अनादर का भागी होता है।
इसलिए भागवत कथा श्रवण करने का बड़ा महत्व है। भागवत कथा प्रारंभ होने के पूर्व सुभाष चंद, भरोसी लाल, गजेंद्र सिंह, मातादीन बंसल एवं संत श्री बालक दास महाराज ने भागवत आरती उतारी। इस धार्मिक आयोजन में नगर के काफी संख्या में लोग कथाश्रवण के लिए उपस्थित हो रहे हैं।
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