लॉकडाउन ने सिर्फ दर्द नहीं, अवसर भी दिए
लाॅकडाउन के बीच दर्द और बेबसी की कहानियां सामने आईं, लेकिन इसी लाॅकडाउन ने लाेगाें काे बदलाव और सीखने के लिए अवसर भी दिए। जिले में ऐसे कई लाेग हैं जाे इस संक्रमण काल में भी अवसर तलाश कर उसका डटकर मुकाबला कर रहे हैं। भास्कर ने गुरुवार को ऐसे ही लाेगाें काे तलाश कर उनसे उनके अनुभव जाने। गौरतलब है कि दो रोज पूर्व देश काे पांचवी बार संबाेधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी ने लाॅकडाउन काे अवसराें वाला बताया था।
1. ऑनलाइन शिक्षा और ट्रेनिंग से जुड़ने का छात्रों को मिला अवसर मिला
जाे स्मार्टफाेन मनाेरंजन का साधन था उसी से जिले के 1 लाख से ज्यादा बच्चे पढ़ रहे हैं अाैर करीब 3 हजार शिक्षक घर बैठे ट्रेनिंग ले रहे हैं। जिला शिक्षा अधिकारी सुभाष शर्मा ने बताया स्कूल में बच्चे शिक्षक के निर्देश पर पढ़ते हैं। मगर ऑनलाइन शिक्षा के कारण बच्चे अात्मनिर्भर बने हैं। वाट्सएप पर सामग्री मिलते ही बच्चे स्वेच्छा से पढ़ने बैठ जाते हैं। दूसरी तरफ तेज गर्मी में शिक्षकाें काे ट्रेनिंग के लिए जिला प्रशिक्षण संस्थान, इंदाैर, भाेपाल या जबलपुर नहीं जाना पड़ रहा। घर बैठे ही वे नए सत्र में बच्चों काे पढ़ाने की ट्रेनिंग ले रहे हैं। बैठकें भी अाॅनलाइन ही हाे रही।
2. डिजिटल बैंकिंग से जुड़े कई लाेग
बैंकाें के बाहर से कतार कम हुई है क्याेंकि लाेग डिजिटल बैंकिंग से जुड़े। इसके लिए मप्र ग्रामीण आजीविका मिशन की बीसी सखी व डाक विभाग सक्रिय रहा। मिशन की प्रबंधक ने बताया जिले के 7 ब्लाॅक की 25 से अधिक महिलाओं ने 50 लाख रुपए से ज्यादा राशि लाेगाें के घराें तक पहुंचाई है। इसी तरह डाक विभाग ने अपने पाेस्टमैन के माध्यम से महज 11 दिन में लाखों रुपए घराें तक पहुंचाने की सुविधा की। इसके अलावा पाेस्ट ऑफिस के माध्यम से किसी भी बैंक से रुपए निकालने की सुविधा भी हुई है।
3.स्व-सहायता समूहों ने सीखा सैनिटाइजर बनाना
लॉकडाउन के दौरान आजीविका मिशन से जुड़े स्व-सहायता समूहों ने मास्क और सैनिटाइजर न केवल बनाना सीखा है, बल्कि राशन वितरण के साथ हजारों मास्क समुदाय के बीच पहुंचाए हैं। जबकि इस काम की उन्हें ट्रेनिंग भी नहीं मिली। नगर निगम के जनसंपर्क अधिकारी रहीम चौहान के मुताबिक मास्क व सैनिटाइजर बनाने के काम में एक दर्जन से अधिक स्व-सहायता समूह लगे हुए हैं। इससे समूह की महिलाएं न केवल उनका आर्थिक रूप से सुदृण हो रही हैं, बल्कि संकट के समय वे लोेगों के आ रहीं हैं।
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