जेडीए और केन्ट झाड़ रहे पल्ला ठेकेदार, पार्षद उठा रहे फायदा

सरकारी विभागों की आपसी खींचतान और अधिकारियों की लापरवाही का लाभ लेने वालों की चाँदी है। कटंगा में जिस करोड़ों की जमीन पर अवैध तरीके से तीन ड्यूप्लेक्स तन रहे हैं और खाली जमीन पर कब्जा किया जा रहा है वह नियमों के अनुसार केन्ट बोर्ड की है लेकिन केन्ट बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि उनके पास उसके दस्तावेज नहीं हैं। जेडीए का कहना है कि जब पूरी योजना ही केन्ट को हस्तांतरित हो गई तो फिर जमीन भी केन्ट के अधीन आ गई। पार्षद और केन्ट बोर्ड के सफाई ठेकेदारों ने इन विभागों की इसी लापरवाही को अपनी ढाल बनाई और करोड़ों की जमीन पर कब्जा ठोक दिया। इसी बीच वे इस जमीन को नजूल की भूमि साबित करने आतुर हैं बल्कि जानकारों का कहना तो ये है किनजूल विभाग के कुछ अधिकारी भी इस मामले में शामिल हैं और उन्होंने फर्जी पट्टा तक बनाकर जारी कर दिया है।
कटंगा में जबलपुर विकास प्राधिकरण की योजना क्रमांक 27 संचालित थी। इस भूमि पर जेडीए ने आवासीय परिसर बनाया और उसके बाद केन्ट को पूरी योजना का हस्तांतरण भी कर दिया और योजना के लिए करीब 50 लाख रुपयों की राशि भी केन्ट बोर्ड को प्रदान की ताकि आगे किसी प्रकार की परेशानी न हो। इसी योजना में पार्क की खाली करीब 20 हजार वर्गफीट की भूमि भी थी जिस पर भू माफियाओं की शुरू से ही नजर थी और कई बार इसमें कब्जे का प्रयास हुआ जिसे खुद केन्ट बोर्ड ने विफल किया। इसके बाद इस पर पार्षद और केन्ट बोर्ड तथा नगर निगम में सफाई ठेका लेने वालों की नजर पड़ गई और उन्होंने यहाँ की करीब 5 हजार वर्गफीट से अधिक भूमि पर अवैध कब्जा कर लिया। इस भूमि पर आँगनबाड़ी के नाम पर अवैध तरीके से ड्यूप्लेक्स बनाए जा रहे हैं।
जेडीए सीईओ का कहना जमीन जेडीए की थी
जबलपुर विकास प्राधिकरण के सीईओ राजेन्द्र राय का साफ कहना है किजिस जमीन पर अवैध तरीके से ड्यूप्लेक्स बनाए जा रहे हैं वह जमीन जेडीए की योजना क्रमांक 27 में ही शामिल थी और उसका हस्तांतरण केन्ट बोर्ड को किया जा चुका है, इसलिए अब वह जमीन केन्ट की हो गई है। केन्ट अपनी ही जमीन से अंजान है और वहाँ अवैध निर्माण किया जा रहा है। हमने इससे पहले भी पत्र जारी किया था और यह भी कहा था किअवैध निर्माण रोका जाए लेकिन ऐसा नहीं किया गया है। हम केन्ट बाेर्ड को दस्तावेज उपलब्ध कराएँगे ताकि जमीन को बचाया जा सके।
केन्ट बोर्ड अनजान या फिर साजिशकेन्ट बोर्ड की इस पूरे मामले में जो रणनीति रही है वह इस तरफ इशारा करती है कि केन्ट के जो अधिकारी हैं वे या तो सचमुच में अंजान हैं या फिर किसी साजिश के तहत अंजान बन रहे हैं। कुछ लोगों का तो साफ कहना है किखुद केन्ट बोर्ड के कुछ इंजीनियर पार्षद और ठेकेदारों से मिले हुए हैं और आर्थिक लाभ लेकर इस जमीन के मामले में विभाग को भ्रमित करते हैं। सोचने वाली बात यह है कियह वही केन्ट बोर्ड है जिसने नगर निगम की जमीन पर अवैध तरीके से गुमटियों का निर्माण किया था तब यदि इतनी सावधानी बरती गई होती तो बोर्ड की इतनी किरकिरी नहीं हुई होती।
नजूल को केवल बचने के लिए शामिल कर रहेइस भूमि से नजूल विभाग का शायद ही कोई लेना देना हो लेकिन पार्षद और ठेकेदारों ने चूँकि नजूल से भूमि का फर्जी पट्टा प्राप्त किया हुआ है इसलिए वे बेवजह इस भूमि को नजूल से जोड़ रहे हैं। हालाँकि नजूल के अधिकारियों को भी इस मामले में आगे आना होगा और यह साबित करना होगा कि जमीन उनकी है या नहीं। कहीं ऐसा न हो कि नजूल के नाम पर करोड़ों की जमीन को आसानी से खुर्द-बुर्द किया जा सके।
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