आरोप : पंचायत सचिवों व रोजगार सहायकों को मनमाने ढंग से सौंपे गए वित्तीय प्रभार

बिजावर जनपद पंचायत क्षेत्र की ग्राम पंचायतों में वित्तीय प्रभार सौंपने के मामले में अधिकारियों द्वारा जमकर मनमानी करने के गंभीर आरोप लग रहे हैं।
समाजसेवी नीरज भटनागर और सुरेंद्र तिवारी ने अधिकारियों द्वारा वित्तीय प्रभार देने मे नियमों की अनदेखी करने, दोहरे मापदंड अपनाए जाने, चहेतों को उपक्रत करने, प्रशासनिक आदेशों को ठेंगा दिखाने वाले कर्मचारियों को सरंक्षण देने और अधिकारी के तुगलकी गैरकानूनी फरमानों को पूरा नहीं करने वाले सचिवों तथा रोजगार सहायकों को परेशान करने के आरोप लगाए हैं। इन हालातों में स्थानीय सचिवों और रोजगार सहायकों मे आक्रोश पनप रहा है। जनपद क्षेत्र की 12 ग्राम पंचायतों में सचिव ही नहीं हैं, जबकि कुछ पंचायतों में स्थाई रोजगार सहायक नहीं हैं।
छह पंचायतों के सचिवों को एक साथ 2 जगह के वित्तीय प्रभार दे दिए गए। अधिकारियों के दोहरे मापदंड का आलम यह है कि कहीं सचिवों को प्रभार न देकर रोजगार सहायक के पास प्रभार है, तो कई पंचायतों में रोजगार सहायक को प्रभार न देकर दूसरी पंचायत में पदस्थ सचिव को एक साथ 2 जगह का वित्तीय प्रभार दिया गया है। इतना ही नहीं एक पंचायत में पदस्थ सचिव को उसकी मूल पंचायत का वित्तीय प्रभार न देकर दूसरी पंचायत का प्रभार दिया गया है।
युवा नेता अशोक तिवारी का आरोप है कि ग्राम पंचायत गड़ा मे रोजगार सहायक रज्जू यादव के पास प्रभार है। गुलगंज मे रोजगार सहायक नहीं हैं यहां के रोजगार सहायक को अनगौर भेज दिया गया है। सचिव पर धारा 92 का मामला लंबित है, यहां 15 किलोमीटर दूर स्थित नयाताल पंचायत के सचिव को अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। जबकि इस पंचायत के आसपास आधा दर्जन पंचायतें हैं। वहां के सचिव को प्रभार नहीं दिया गया। मामौन पंचायत का अतिरिक्त वित्तीय प्रभार अनगौर का वित्तीय प्रभार संभाल रहे सचिव को दे दिया गया। नयागांव पंचायत में भी सचिव नहीं हैं, यहां अतिरिक्त प्रभार रगौली सचिव को दिया गया । पनागर मे सचिव नहीं है, यहां दूसरी पंचायत के सचिव को अतिरिक्त प्रभार न देकर रोजगार सहायक को प्रभार दिया गया है। जिसने हाल ही मे गांव की एक गली में मिट्टी हटाए बगैर ही सीसी रोड डाल दिया गया। लखनगुवां में सचिव होने बाद भी प्रभार रोजगार सहायक को दे दिया गया।
महुआझाला पंचायत का प्रभार रोजगार सहायक के पास है यहां सचिव नहीं है। बक्सोही पंचायत में पदस्थ सचिव को इस पंचायत का वित्तीय प्रभार न देकर धरमपुरा का प्रभार दिया गया। शाहगढ़ पंचायत में भी डिलारी पंचायत के सचिव को दोहरा प्रभार दिया गया। इसी तरह किशनगढ़ का अतिरिक्त वित्तीय प्रभार कुपी पंचायत सचिव के पास है। इसी तरह अन्य कई पंचायतों में मनमाने तरीके से कहीं सचिव होने बाद भी रोजगार सहायक को और कहीं रोजगार सहायक होने पर भी दूसरी पंचायत के सचिव को प्रभार दिया जा रहा है।

50 किमी दूर से अपडाउन कर रहे रोजगार सहायक

युवा नेता वरुण पटना ने भी पंचायतों में सचिवों व रोजगार सहायकों के प्रभार मामले में धांधली के आरोप लगाए हैं। नारायनपुरा रोजगार सहायक रहे राजेश दीक्षित की गड़बड़ी की शिकायत हुई तो उन्हें बिहरवारा भेज दिया गया। फिर वहां गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर जनपद कार्यालय में अटैच किया, फिर गुलगंज भेजा गया, जब वहां नहीं गए तो वापस बिहरवारा भेजना पड़ा। इसी तरह बेरखेरी रोजगार सहायक पुष्पेंद्र तिवारी पर पीएम आवास मे गड़बड़ी किए जाने के बावजूद कार्रवाई नहीं हुई। मामला विधायक तक पहुंचा तो वहां से हटाना पड़ा, फिर सुकवाहा भेज दिया और वित्तीय प्रभार भी सौंप दिया गया। वहां से पुष्पेंद्र का घर 50 किमी दूर है वह भी अप डाउन करते हैं। गुलगंज, कुपी, डारागुवा और बेरखेरी मे रोजगार सहायक नहीं हैं। इसके अलावा कुछ रोजगार सहायकों को मूल पंचायतों मे वापस भेज दिया तो कुछ को नहीं भेजा गया।

प्रभार देने में हुआ बड़ा खेल
वरुण पटना का आरोप है कि रोजगार सहायकों को इधर से उधर करना, वित्तीय प्रभार देने आदि के नाम पर बड़ा खेल चल रहा है। वहीं कई चहेते कर्मचारी खेत तालाब सहित अन्य योजनाओं मे फर्जी मजदूर दर्शा कर आर्थिक अनियमितता कर रहे हैं।
जिला सीईओ बोले-कोई अनियमितता नहीं: इस संबंध में जिला पंचायत सीईओ हिमांशु चंद्रा का कहना है कि अधिकारी को यह अधिकार है कि वह जिसे उचित समझे और जिसे काबिल समझे उसे प्रभार दे। इसमें अधिकारी द्वारा किसी प्रकार की अनियमितता नहीं की गई है। फिर भी मैं मामले को दिखवाता हूंं।



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