घर के आंगन में पौधे लगाने की जिद से बन गई बगिया, ग्रामीणों ने कहा- यह तो माई की बगिया

गांव देवलाबिहार की मानकुंवर पति बाबूलाल सौराष्ट्रीय ने अपने आंगन मेंही बगिया बनाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया है। करीब 15 से 20 किस्मों के फल-फूल और सब्जी के पौधाेंसे सजी इस बगिया को ग्रामीणाेंने माई की बगिया नाम दिया है।
मानकुंवर बाई ने बताया की मुझे पेड़-पौधे लगाने का हमेशा से शौक रहा है अलग-अलग किस्मों के पौधे के बीज उगाकर पौधे लगाती हूं। वहीं इनके पति बाबूलाल सौराष्ट्रीय ने बताया की मानकुंवर जब शादी करके आई तब शादी की यादगार के रूप मे पहला आम का पौधा आंगन में लगाया था, फिर उस पौधे को थोड़ा बढ़ा कर खेत पर लगाया जो आज पेड़ बन गया है और उसमें आम आते है, जिसे गर्मी मे सबको खिलाए जाते है। शुरू से ही उनके इस प्रकृति प्रेम को देख कर हमने अपने घर के सामने आंगन मे छोटी सी फुलवारी बनाई और कई फल-फूलों के पौधे लगाए।
बाबूलाल बताते है की जब भी उनके घर परिवार में कोई बच्चे का जन्म होता तो वो उसकी खुशी में एक पौधा लगाते। वही मानकुंवर बाई के बेटे माखनलाल धानुक ने बताया माता जी की क्यारी में अब करीब 20 से 25 किस्मों के पेड़ पौधे है। इसमें आम, अमरूद, अनार, जामुन, संतरे, पपीता आदि है।
करीब 40 साल से मां-पिताजी बगिया की देख रेख कर रहे है। आंगन में और कई पौधे खेत की मेड़ पर लगा चुके हैं। गर्मी के दिनों में जब पानी की समस्या होती है तो मां करीब 1 या 2 किमी दूर से सिर पर घड़ा रखकर पानी लाकर पौधों को देती है।
कई पौधे बन गए पेड़
कई पौधे पेड़ बन गए और फल देने लगे है। अभी कोरोना काल में जब सब बंद था तो बाजार में फल सब्जियां नहीं मिलती, तब ताजी सब्जी व फल यहीं से खाने को मिला । वहीं घर व मोहल्ले में जिस भी बच्चे का जन्मदिन होता है, मानकुंवर बाई बच्चों के हाथों से पौधारोपण करवाती है, ताकि जन्मदिन यादगार रहे। वहीं अब इनकी पोतिया भी दादी की मदद करती है। घर की छोटी बच्ची आराध्या पौधरोपण करने के साथ पानी देती है।
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