ट्रॉला फंसने से 6 घंटे जाम रहा नसरुल्लागंज हाईवे क्योंकि 15 की बजाय 70 टन रेत ढोने से सड़क धंसी

एक तरफ अवैध उत्खनन से जहां नर्मदा नदी को रेत माफिया ने छलनी कर दिया है तो वहीं दूसरी ओर क्षमता से अधिक रेत भरकर निकल रहे डंपरों और भारी वाहनों ने सीहोर-नसरुल्लागंज हाईवे ही उखड़ गया है। हालत यह है कि इस मार्ग पर बड़े-बड़े गड्‌ढे हो रहे हैं। बुधवार को 10 पहिये वाला एक ट्रक नसरुल्लागंज से करीब 5 किमी दूर गड्‌ढे में फंस गया जिससे यहां पर 6 घंटे तक जाम लगा रहा। इस जाम में जिला पंचायत सीईओ का वाहन भी फंस गया। जब जाम नहीं खुला तो वह दूसरे प्रधानमंत्री सड़क से नसरुल्लागंज पहुंचे।
रेत के ओवर लोडिंग परिवहन से सीहोर हाईवे बुरी तरह से बदहाल हो चुका है। आलम यह है कि सड़क पर अनेक स्थानों पर बड़े-बड़े गड्‌ढे हो चुके हैं जिससे आए दिन इस मार्ग पर वाहन फंसकर दुर्घटना ग्रस्त हो रहे हैं। बुधवार को ऐसा ही एक जाम उस समय लगा जब नर्मदा घाट से रेत लेकर गुजर रहे एक 10 पहिया वाहन का पहिया गड्ढे में जा फंसा। इसके बाद रेत के वाहनों की लंबी कतार लग गई।

हाईवे की सड़क की क्षमता से 3 गुना ज्यादा भारी निकल रहे रेत के वाहन
नसरुल्लागंज से सीहोर सड़क मार्ग पर सड़क की क्षमता से 3 गुना अधिक भारी वाहन निकल रहे हैं जिससे सड़क ने पूरी तरह दम तोड़ दिया है। वर्ष 2012 में दिलीप बिल्डकॉन कंपनी ने लगभग 23 करोड़ की लागत से नसरुल्लागंज से कोसमी 22 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण किया था। उस समय सड़क की भार सहने की क्षमता लगभग 15 से 20 टन की थी लेकिन इसी सड़क से 60 से 70 टन रेत लेकर वाहन निकल रहे हैं।

नसरुल्लागंज से वासुदेव को जोड़ने वाली सड़क भी पूरी तरह उखड़ गई
नसरुल्लागंज से धार्मिक स्थल वासुदेव को जोड़ने वाली सड़क भी डायवर्सन रोड बनाए जाने के कारण पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है। सीप नदी पर बने पुल के क्षतिग्रस्त होने के कारण जिला प्रशासन द्वारा इंदौर जाने के लिए नसरुल्लागंज से सेमल पानी होते हुए वासुदेव इटावा, वासुदेव से डोभा - गोपालपुर को जोड़ने वाली सड़क डायवर्सन रूट के लिए तय की थी लेकिन रेत के अवैध परिवहन ने सड़कों को खराब कर दिया।

जिपं सीईओ को 22 किमी का अतिरिक्त चक्कर लगाना पड़ा

इस जाम में जिला पंचायत के सीईओ हर्ष सिंह का वाहन भी फंस गया और उन्हें नसरुल्लागंज पहुंचने के लिए लगभग 22 किलोमीटर से भी अधिक फेर से प्रधानमंत्री सड़क से होते हुए पहुंचना पड़ा। जबकि नसरुल्लागंज पहुंचने के लिए जाम वाले स्थल से सिर्फ 4 किलोमीटर की दूरी थी।

इन जगहाें की सड़कें भी ओवरलोडिंग से खराब
रेत के अवैध परिवहन से कई सड़कें खराब हो चुकी हैं। इनमें सातदेव-बोरखेड़ा 16 किमी, सातदेव-नसरुल्लागंज 19 किमी, मंडी जोड़-आंबा-बड़गांव 18 किमी, छिपानेर-इटावा 8 किमी, बाबरी-कलबाना 14 किमी, नीलकंठ-नसरुल्लागंज 8 किमी, नसरुल्लागंज-कोसमी 22 किमी हैं। इन सड़कों में क्षमता से अधिक रेत के वाहन चलने से गड्ढे व दरारें पड़ गई हैं। इस संबंध में एसडीएम दिनेश तोमर का कहना है कि सड़क की स्थिति को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया गया है। शीध्र ही मप्र सड़क विकास निगम द्वारा सड़क की मरम्मत कराई जाएगी।
105 किमी लंबी सड़कें खराब
आंध्र प्रदेश की कंपनी को जिले की रेत खदानों का ठेका करीब 109 करोड़ रुपए में दिया है। सरकार की मंशा थी कि यहां से अच्छा राजस्व प्राप्त होगा लेकिन रेत के डंपरों के ग्रामीण सड़कों से परिवहन करने से करीब 105 किमी सड़कें खराब हुई है। इसमें एक किमी सड़क निर्माण में करीब 1 करोड़ से ज्यादा का खर्च हुआ है। अब इन सड़कों को दोबारा बनाना हो तो फिर इतनी ही राशि खर्च होगी। इससे बारिश में ग्रामीणों को परेशानी हो रही है। हाल ये हैं गांव की सड़कों पर कीचड़ पसरा है।



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Nasrullaganj highway was jammed for 6 hours due to the trola getting stuck because the road was sunk by carrying 70 tons of sand instead of 15


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