मोहर्रम में इस बार सवारी, अखाड़ें व ताजिये इमामबाड़ों तक रहेंगे सीमित

गुरुवार को चांद का दीदार होने के साथ इस्लामिक कैलेंडर का नया साल 1442 हिजरी शुरू हो जाएगा। इस कैलेंडर के पहले महीने का नाम मोहर्रम है। इस बार मोहर्रम भी घरों व इमामबाड़ों में ही मनाया जाएगा। कोरोना महामारी रोकने के लिए शासन की गाइडलाइन अनुसार त्योहार मनाने के लिए उलैमा ने समाजजन ने अपील की है। ताजियों का चल समारोह, सवारी, अखाड़े व ढोल ताशों के मजमे कोरोनाकाल में दिखाई नहीं देंगे। हजरत इमाम हुसैन की याद में मोहर्रम मनाया जाता है। यह कोई त्योहार नहीं है बल्कि मातम का दिन है। हजरत इमाम हुसैन की शहादत यह पैगाम देती है कि इंसान को हक व सच्चाई के रास्ते पर चलना चाहिए। मोहर्रम की एक से दस तारीख यौमे आशुरा तक इबादत, तिलावत व भूखे-प्यासों को भोजन पानी उपलब्ध कराना व गरीब मजलूम की खिदमत करने का महत्व अधिक है।
कुरआन के पारा नम्बर 10 में सूरह तोबा की आयत नम्बर 36 के मुताबिक इस पवित्र माह में हज़रत आदम अलेहिस्सलाम दुनिया में आये, हजरत नूह अलेहिस्सलाम की कश्ती को दरिया के तूफान में किनारा मिला, हजरत मूसा अलेहिस्सलाम और उनकी कौम को फिरऔन के लश्कर से निजात मिली और फिरऔन दरिया ए नील में समा गया।
मौलाना रिजवान अहमद मिस्बाही ने बताया कि मोहर्रम में ही इस्लाम के पांचवें खलीफा अमीर मुआविया ने खलीफा के चुनाव के वाजिब और परंपरागत तरीके की खिलाफत करते हुए बेटे यजीद को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिया, जो जुल्म और अत्याचारों के लिए मशहूर था।
यजीद ने अपनी खिलाफत का ऐलान कर हजरत इमाम हुसैन और उसके साथियों से कहा कि तुम भी मेरे अनुयायी हो जाओ। हजरत इमाम हुसैन ने ऐसा करने से मना कर दिया। इसी कारण यजीद ने जंग का ऐलान कर दिया। उसकी 40 हजार सेना और हजरत इमाम हुसैन अपने 72 साथियों के साथ उस दौर के सबसे बड़े जालिम और ताकतवर शासक के खिलाफ जंग के मैदान में आ गए। हजरत इमाम अपने नाना हजरत मुहम्मद की उम्मत के खातिर शहीद हो गए, लेकिन जालिम के आगे नहीं झुके।
इस्लामिक साल के 12 महीने
1.मोहर्रम

2.सफर

3.रबीउल-अव्वल

4.रबीउल-आखिर

5.जुमादिल-अव्वल

6.जुमादिल-आखिर

7.रज्जब

8.शाअबान

9.रमज़ान 1

0.शव्वाल

11.जिल काअदह

12.जिल हिज्जा

हिजरी सन की शुरूआत- मदीना जाने के समय से हिजरी सन को इस्लामी साल माना
हिजरी की शुरुआत दूसरे खलीफा हजरत उमर फारुख रजि. के दौर में हुई, हजरत अली रजि. की राय से ये तय हुआ था। इस्लाम धर्म के आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद के पवित्र शहर मक्का से मदीना जाने के समय से हिजरी सन को इस्लामी साल का आरंभ माना गया। इसी तरह हजरत अली रजि. और हजरत उस्मान गनी रजि. के सुझाव पर ही खलिफा हजरत उमर रजि. ने मोहर्रम को हिजरी सन का पहला माह तय कर दिया, तभी से विश्वभर के मुस्लिम मोहर्रम को इस्लामी नये साल की शुरुआत मानते हैं।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
फाइल फोटो


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3gkhrXq

Share this

0 Comment to "मोहर्रम में इस बार सवारी, अखाड़ें व ताजिये इमामबाड़ों तक रहेंगे सीमित"

Post a Comment