केरल की तरह पचमढ़ी बनेगा प्राकृतिक चिकित्सा का हब,जनवरी 2022 से हो सकती है औपचारिक रूप से शुरुआत

पचमढ़ी को प्राकृतिक सौंदर्य के साथ ही जल्द ही नई पहचान मिलने वाली है। मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम ने केरल की तर्ज पर प्राकृतिक चिकित्सा का बड़ा केंद्र बनाने की योजना तैयार की है। इस पर अगले दो से तीन महीनों में काम शुरू भी हो जाएगा। यदि सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ तो नए साल में सतपुड़ा की वादियों में लोग प्राकृतिक चिकित्सा करा सकेंगे।
पर्यटन विकास निगम के प्रबंध संचालक एस. विश्वनाथन ने भास्कर को बताया पचमढ़ी में प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र स्थापित करने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए देश में प्राकृतिक चिकित्सा के बड़े केंद्र चलाने वाले लाेगाें से बात चल रही है। पचमढ़ी प्राकृतिक विविधताओं का केंद्र है इसलिए यहां प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में अच्छी संभावनाएं हैं। इसी को ध्यान में रखकर योजना बनाई है।
विश्वनाथन ने बताया दिसंबर अंत तक इसकी तैयारी पूरी कर लेंगे। इस क्षेत्र में काम करने वाले सफल लाेगाें से बात चल रही है, जिनकी सहभागिता कर पचमढ़ी काे प्राकृतिक चिकित्सा का बड़ा केंद्र बनाया जाएगा। इसे लेकर शुरुआत चरण में सर्वे कराया जा सकता है ताकि केंद्र की उपयोगिता के साथ लोगों तक इसका सही तरीके से प्रचार हो सके।
आयुष चिकित्सालय में पदस्थ आयुर्वेद डाॅ. गिरीराज व्यास के मुताबिक प्राकृतिक चिकित्सा काे औषधि विहीन उपचार पद्धति कहते हैं। यह मुख्य रूप से प्रकृति के सामान्य नियमों के पालन पर आधारित है। इस पद्धति का आयुर्वेद से करीबी संबंध है। प्राकृतिक चिकित्सा के समर्थक खान-पान एवं रहन-सहन की आदतों, शुद्धि कर्म, जल चिकित्सा, ठंडी पट्टी, मिट्टी की पट्टी, विविध प्रकार के स्नान, मालिश अादि तरीकाें से उपचार कराते हैं। प्राकृतिक चिकित्सा के तहत प्रकृति के साथ एक हाेकर शरीर की राेग प्रतिराेधी क्षमता बढ़ाई जाती है। मूल रूप से मिट्टी चिकित्सा, जल चिकित्सा, याेग-प्राणायाम, पंचकर्म काे शामिल किया जाता है, हालांकि पंचकर्म अायुर्वेद चिकित्सा का भी अंग है।
पचमढ़ी के आर्थिक विकास विषय पर शाेध करने वाले डाॅ. ओपी अग्रवाल ने बताया कि पचमढ़ी प्राकृतिक चिकित्सा के बड़े केंद्र के ताैर पर खड़ा हाे सकता है। अब दुनिया प्राकृतिक चिकित्सा की ओर बढ़ रही है। यदि सरकार इसमें रुचि ले रही है ताे यह बहुत अच्छी बात है। यहां आने वाले पर्यटकाें काे इसका लाभ मिलेगा साथ ही स्थानीय पर्यटन व्यावसायियाें के लिए भी नई संभावनाओं के द्वार खुलेंगे।
पर्यटन से जुड़े व्यवसायी पंकज जायसवाल ने बताया प्राकृतिक चिकित्सा क्षेत्र में पचमढ़ी में अच्छी संभावनाएं हैं। लाॅकडाउन से टूरिज्म काे नुकसान हुआ। सरकार की ओर से इस ओर पहल की जाती है ताे स्थानीय पर्यटन व्यवसायियाें काे नई संभावनाएं मिलेंगी। यहां ऑक्सीजन की कमी नहीं है जाे प्राकृतिक चिकित्सा के लिए उपयोगी है।
पंचकर्म भी
- स्नेहन- इसमें सबसे पहले शरीर के सभी अंगाें पर जड़ियाें के तेल से मालिश की जाती है।
- स्वेधन- शरीर का पसीना निकालने की प्रक्रिया की जाती है, जिसमें गर्म भाप दी जाती है।
- वमनक्रिया- वमनक्रिया में पानी पिलाकर मरीज काे उल्टी कराई जाती है।
- विरेचन- एनिमा आदि तरकीब से पेट साफ कराया जाता है।
- वस्ती- इसके दाे भाग हैं आस्थापन वस्ती और अनुवासन वस्ती
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