कोविड पेशेंट के उपचार की दर तय करे सरकार, इतना भर नहीं रेट लिस्ट को डिस्प्ले भी करें निजी अस्पताल

मप्र हाईकोर्ट ने सोमवार को कोरोना मरीजों के उपचार संबंधी मामले में बड़ा फैसला देते हुए कहा है कि सरकार इसके लिए दरें सुनिश्चित करे। इतना भर नहीं इस रेट लिस्ट को निजी अस्पताल बाकायदा डिस्प्ले भी करें। इस मामले में बतौर कोर्ट मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने अपने सुझाव पेश किये। जिसमें कहा गया है कि इंदौर जिला प्रशासन ने निर्देश जारी किये हैं कि कोरोना मरीजों से उपचार के लिए निजी अस्पताल पूर्व निर्धारित दर से 40 प्रतिशत अतिरिक्त बेड चार्ज ले सकते हैं, इसमें वेंटिलेटर चार्ज भी शामिल रहेगा।

चीफ जस्टिस एके मित्तल व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने इन सुझावों पर सहमति जताते हुए अस्पताल में रेट लिस्ट चस्पा करने के निर्देश जारी किये। युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को निर्धारित की है, हालाँकि विस्तृत आदेश की प्रतीक्षा है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल डॉ. अश्वनी कुमार द्वारा सुको को पत्र भेजकर शाजापुर के सिटी हॉस्पिटल में बिल का भुगतान न होने पर एक 80 साल के बुजुर्ग को बंधक बनाकर रखे जाने का आरोप लगाया गया था। सुको से यह मामला हाईकोर्ट को भेजा गया और यहाँ पर उसकी सुनवाई जनहित याचिका के रूप में की जा रही है।

विगत 13 जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने निजी अस्पतालों के लिए गाइडलाइन्स बनाए जाने की मंशा जताई थी, ताकि पैसों के अभाव में कोई भी मरीज इलाज से वंचित न हो सके। कोर्ट के निर्देश पर दो अर्जियों के जरिए वरिष्ठ अधिवक्ता श्री नागरथ ने अपने सुझाव कोर्ट के समक्ष पेश किए हैं। सुनवाई के दौरान शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता आरके वर्मा हाजिर हुए।

कोर्ट मित्र के सुझाव

  • सुझाव में कहा गया है कि कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए इलाज में आने वाले खर्च को लेकर राज्य और जिला स्तर पर समितियों का गठन किया जाए।
  • ऐसा इसलिए क्योंकि निजी अस्पताल मनमानी कर रहे हैं। एक तरफ सरकार ने रूटीन वार्ड के रेट 1800 रुपए तय किए हैं, वहीं निजी अस्पताल उसी के 12 से 15 हजार रुपए तक वसूल रहे हैं।
  • मरीजों को लगने वाले ऑक्सीजन के रेट सरकार ने 26 सौ रुपए प्रतिदिन तय किए, तो निजी अस्पताल 15 से 18 हजार चार्ज कर रहे हैं।
  • इतना ही नहीं, आईसीयू व वेंटिलेटर के रेट 45 सौ रुपए प्रतिदिन निर्धारित हैं उसके रेट 18 से लेकर 26 हजार रुपए तक वसूले जा रहे हैं।


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जबलपुर हाईकोर्ट। फाइल फोटो


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