कंपनी का क्रॉस्ड चेक हथियाकर बैंक मैनेजर को स्पूफिंग कॉल, फिर मालिक बनकर अकाउंट में लगाते थे सेंध

हाइटेक होते जा रहे सायबर जालसाजों के नए हथकंडे ने पुलिस को भी परेशानी में डाल रखा है। राज्य सायबर पुलिस के हाथ उत्तराखंड का एक ऐसा जालसाज लगा है, जिसने भोपाल के दो बैंक मैनेजर्स से 34.80 लाख ठग लिए। इसके लिए उसने पहले दो कंपनियों के सेल्स अथॉरिटी को स्पूफिंग कॉल कर बड़ा ऑर्डर देने का लालच दिया। फिर एडवांस पेमेंट के नाम पर उनसे कंपनी का क्रॉस्ड चेक हासिल कर लिया।

फिर इस चेक की जानकारी के आधार पर उस बैंक मैनेजर को कॉल किया, जहां कंपनी का खाता है। अब कंपनी का मालिक बनकर मैनेजर से फर्जी नाम-पते से खुले खाते में इतनी रकम जमा करवा ली। शाम को बैंक क्लोजिंग के समय तक उस रकम को छह राज्यों के 35 फर्जी बैंक खातों में घुमाया, ताकि पुलिस भी घूमती रह जाए।

35 फर्जी खातों में घुमाया पैसा, ताकि पुलिस भी घूमती रहे
ये हाइटेक जालसाजी जून 2020 में शुरू हुई। एक्सिस बैंक के ब्रांच मैनेजर को कॉल करने से पहले इस जालसाज ने ट्रू-कॉलर पर फर्जी नाम-पते से लिए गए मोबाइल नंबर को कंपनी संचालक के नाम से रजिस्टर किया था। इस मैनेजर से 28 लाख ऐंठने के चार महीने बाद उसने एचडीएफसी बैंक के ब्रांच मैनेजर को ठीक इसी अंदाज में 6.80 लाख की चपत लगाई।

25 सदस्यीय गैंग करती है वारदात
एसपी ने बताया कि इस गिरोह में अब तक 25 सदस्यों के होने का पता चला है। सभी आपस में इंटरनेट कॉलिंग या सोशल मीडिया के जरिए जुड़े हैं। कोई बैंक खाते तैयार करने का काम करता है तो किसी की जिम्मेदारी फर्जी नाम-पते से मोबाइल नंबर मुहैया करवाने की है।

फर्जी नाम-पते से खोले थे खाते
एसपी सायबर वैभव श्रीवास्तव ने बताया कि तकनीकी जांच में पता चला कि ठगे गए 34.80 लाख रुपए को 35 अलग-अलग बैंक खातों में इसलिए घुमाया गया ताकि पुलिस भी परेशान होती रहे। क्योंकि ये सभी बैंक खाते फर्जी नाम-पते से खोले गए थे।

क्या है स्पूफिंग
ट्रू-कॉलर पर नंबर रजिस्टर्ड कर या तकनीक का इस्तेमाल कर अपनी पहचान छिपाते हुए कॉल करने को स्पूफिंग कॉल कहा जाता है। जानकारों का मानना है कि कई बार स्पूफर उसी नंबर को डिस्प्ले करा देते हैं, जो कॉल रिसीवर का मोबाइल नंबर होता है।

सायबर पुलिस को...रिवर्स ट्रेसिंग से पकड़ने में लगे पांच महीने
सायबर पुलिस ने जालसाजों तक पहुंचने की पहली कोशिश उन बैंक खातों को ट्रेस करने से शुरू की। अच्छे परिणाम नहीं मिले तो रिवर्स ट्रेसिंग का पैंतरा अपनाया। यानी पुलिस ने उस नंबर से दोबारा शुरूआत की, जिस पर क्रॉस्ड चेक मंगवाया गया था। इसी रास्ते पर आगे बढ़ते हुए पुलिस कोलकाता निवासी सुशोभन भट्‌टाचार्य तक जा पहुंची। उसके खाते में रकम ट्रांसफर हुई थी। उसके जरिए पुलिस ने रुद्रपुर, उत्तराखंड निवासी वीरेंद्र साहू को धरदबोचा, जो गिरोह का सरगना माना जा रहा है।



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प्रतीकात्मक फोटो


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