माेतियाबिंद शिविर नहीं, बुजुर्गों काे आंखों की राेशनी जाने का डर
सिविल अस्पताल में काेविड-19 के कारण संस्थाएं लाेगाें के लिए माेतियाबिंद के निशुल्क अाॅपरेशन नहीं करा रही हैं। ऐसे में माेतियाबिंद से पीड़ित बुजुर्ग निशुल्क ऑपरेशन की उम्मीद में इंतजार कर रहे हैं। गांव से आने वाले बुजुर्ग अाैर परिजन अस्पताल में पूछकर बैरंग लाैट जाते हैं।
इनमें जाे सक्षम हैं वह स्वयं के खर्च पर निजी अस्पतालाें में ऑपरेशन करा रहे हैं, गरीब बुजुर्ग परेशान हैं, उन्हें अांखाें की राेशनी जाने का भय भी सता रहा है। इसी तरह स्कूल न खुलने से बच्चाें के दृष्टिदाेषाें की जांच भी नहीं हाे पाई है, ऐसे में आंखाें से कमजाेर बच्चे बिना चश्मे के ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं, जिससे आंखाें काे ज्यादा नुकसान हाेगा।
गांवाें में रहने वाले बुजुर्ग एवं बच्चे अांखाें की जांच न हाेने से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। गाैरतलब है कि हर साल नेत्र अस्पतालाें से जुड़ी संस्थाएं माेतियाबिंद अाॅपरेशन शिविराें का अायाेजन करती हैं। वह मरीजाें की स्थानीय सिविल अस्पताल में जांच करने के बाद बसाें से मरीजाें काे अस्पताल तक ले जाती हैं, वहां ऑपरेशन करने के बाद घर छाेड़कर जाती हैं। बाद में मरीजाें काे चश्मा भी दिया जाता है। हर साल हजाराें बुजुर्ग इसमें ऑपरेशन कराते हैं।
बुजुर्ग सीताराम, मझलेदाउ, भगवानदास का कहना है कि माेतियाबिंद की शिकायत हाे रही है, अन्य कई बुजुर्गाें काे भी शिकायत है। शिविर में ऑपरेशन कराना था, लेकिन काेराेना के कारण शिविर नहीं हाे रहे हैं, ऐसे में इस साल ऑपरेशन नहीं हाे पाएगा। प्राइवेट अस्पताल में ऑपरेशन महंगा हाेता है। वहीं आवागमन के साधन भी नहीं है।
अभी शिविर लगाने की अनुमति नहीं मिली है
नेत्र सहायक केएन कुशवाहा का कहना है कि अस्पताल में जाे भी बुजुर्ग जांच कराने अाते हैं, उनकी जांचकर उन्हें उचित सलाह दी जाती है। कुछ लाेग व्यक्तिगत स्तर पर अस्पताल जाकर अाॅपरेशन करा रहे हैं। अभी संस्थाअाें काे और सिविल अस्पताल में भी शिविर लगाने की अनुमति नहीं है। एेसे में शिविर कब लगेगा यह कह पाना मुश्किल है। अस्पताल अाए बुजुर्गाें की अांखाें की जांच की जाती है, इस साल अब तक 125 बुजुर्गाें काे नजर के चश्में बांटे गए हैं। कुछ बुजुर्गाें के चश्में बनने गए हैं। उन्हाेंने बताया कि पिछले शिविर में 1600 मरीजाें के माेतियाबिंद ऑपरेशन का लक्ष्य था, जिसमें 1500 लाेगाें ने ऑपरेशन कराए थे।
पिछले साल लक्ष्य से ज्यादा 250 बुजुर्गाें काे नजर के चश्में भी वितरित किए गए थे। इसी तरह स्कूलाें में सभी बच्चाें के दृष्टि दाेषाें की जांच की गई थी, जिसमें 470 बच्चाें काे दृष्टिदाेष पाए जाने पर चश्माें का निशुल्क वितरण किया गया था। इस साल काेराेना के बच्चाें की आंखाें की जांच नहीं हाे पाई। जब भी स्कूल खुलेंगे, जांच की जाएगी। शिविर की अनुमति मिलने पर बुजुर्गाें काे सूचित किया जाएगा।
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