स्टार एग्रोनॉमिक्स ने 6 साल से चंगुल में फंसा रखी है 100 से भी ज्यादा किसानों की 498 एकड़ कृषि भूमि
रघुराजनगर तहसील के बाबूपुर पटवारी हल्के के सरसताल में एक किसान महेन्द्र त्रिपाठी के निजी स्वामित्व की 3.358 हेक्टेयर के भूमि के खसरों के कॉलम नंबर-12(कैफियत) में नियम विरुद्ध मेसर्स स्टार एग्रोनामिक्स लिमिटेड के पक्ष माइनिंग लीज दर्ज कराने के बहुचर्चित मामले का यहां यह इकलौता मामला नहीं है। आरोप हैं कि सीमेंट प्लांट की स्थापना की आड़ में अकेले सरसताल में 100 से भी ज्यादा किसान विगत ६ वर्षों से ठीक ऐसी ही नायाब चाल के कारण स्टार एग्रोनामिक्स के चंगुल में फंस कर ब्लैक मेल होने को मजबूर हैं। पीडि़त किसानों ने बताया कि सरसताल निजी स्वत्व की 283 आराजियों की लगभग 498 एकड़ भूमि मौजूदा समय में स्टार एग्रोनॉमिक्स के पास बंधक बन कर रह गई है। जबकि डर दिखाकर लगभग एक दर्जन किसानों से इसी स्टार एग्रोनॉमिक्स ने 80 एकड़ जमीनें औने-पौने दामों खरीद ली हैं।
जानकार किसानों ने बताया कि मेसर्स स्टार एग्रोनामिक्स लिमिटेड ने अगस्त 2012 में 900 करोड़ के एक सीमेंट प्लांट की स्थापना के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए थे। इसी प्लांट के नाम पर स्टार एग्रोनॉमिक्स ने 26 जुलाई 2013 में देवरा सरिसताल में लाइम स्टोन की 207.737 हेक्टेयर माइनिंग लीज श्याम कुमार बंसल से हस्तांतरित करा ली। मध्यप्रदेश शासन के खनिज विभाग ने इस शर्त के साथ उक्त लीज मेसर्स स्टार एग्रोनामिक्स के नाम पर हस्तांतरित की कि खनिज संपदा का उपयोग सिर्फ उनके द्वारा प्रस्तावित सीमेंट प्लांट के कैप्टिव उपयोग के लिए ही किया जाएगा। आरोप है कि सीमेंट प्लांट की स्थापना में तत्परता दिखाने के बजाय स्टार एग्रोनॉमिक्स ने इसी आड़ में देवरा-सरसताल और इटौरा से लगे किसानों के तकरीबन 498 एकड़ भूभाग की कैफियत में माइनिंग लीज दर्ज कराने में कमाल की तत्परता दिखाई। राजस्व अमले को पटा कर आनन फानन में यानि अगले ही साल वर्ष 2014 में मध्यप्रदेश भू -राजस्व संहिता 1959 की धारा 247(4) के प्रावधानों की धज्जियां उड़ाते हुए एक मुश्त जमीनों के खसरों के कॉलम नंबर-12(कैफियत) में नियम विरुद्ध मेसर्स स्टार एग्रोनामिक्स लिमिटेड के पक्ष माइनिंग लीज दर्ज करा ली गई।
कहीं के नहीं रह गए अन्नदाता
6 साल के लंबे अर्से से मेसर्स स्टार एग्रोनामिक्स लिमिटेड के चंगुल में फंसे 100 से भी ज्यादा अन्नदाता किसान अब कहीं के नहीं रह गए हैं। किसानों का बड़ा दर्द यह है कि उनकी कृषि योग्य 498 एकड़ भूमि बंधक बन कर रह गई है। किसान न तो अपने ही खेतों में सुकून से कृषि कार्य कर पा रहे हैं और न ही खसरों के कॉलम नंबर-12(कैफियत) में माइनिंग लीज दर्ज होने के कारण उन्हें किसान गिरवी ही रख पा रहे हैं। यही वजह है कि किसान इन भूमियों के एवज में किसान बैकों से के्रडिट कार्ड (केसीसी) लेकर सरकारी योजनाओं का लाभ ही ले पा रहे हैं। भुखमरी के शिकार किसानों की पुकार नक्कारखाने की तूती बन कर रह गई है।
गरज का सौदा, औने-पौने दाम
किसानों का आरोप है कि हर तरफ से फंसे किसानों के सामने अब सिर्फ स्टार एग्रोनामिक्स के सामने घुटने टेकने के सिवाय और कोई रास्ता नहीं है। मजबूर किसानों के सामने अपनी ही खेती लायक जमीनें अब महज गरज का सौदा बन गई हैं। उन पर औने-पौने दामों में बेचने का दबाव बनाया जा रहा है। किसानों ने बताया कि मौजूदा समय में प्रति एकड़ पर इन भूमियों का मौजूदा मूल्य जहां 54 लाख रुपया प्रति हेक्टेयर है वहीं उन्हें सरकारी डर दिखा कर महज 9 लाख रुपया प्रति एकड़ पर जमीनें बेचने के लिए बाध्य किया जा रहा है।
आखिर, क्या है स्टार एग्रोनामिक्स
स्टार एग्रोनॉमिक्स वस्तुत: फसल उत्पादन और विपणन पर आधारित एक कंपनी है । जो वर्ष 2011 में अस्त्वि में आई । इसका पंजीकृत कार्यालय मुख्यत्यारगंज में एमजी रोड पर स्थित है। इस कंपनी में दुष्यंत सिंह समेत एक ही परिवार के 3 डायरेक्टर और 2 एडीशनल डायरेक्टर हैं। महज एक करोड़ की पेड-अप कैपिटल वाली इस स्टार एग्रोनॉमिक्स लिमिटेड ने 27 अगस्त 2012 को सरकार के साथ जब 900 करोड़ के सीमेंट प्लांट के लिए एमओयू साइन किया तब इस कंपनी का उदेश्य कृषि आधारित था। तकरीबन बहुचर्चित रेवती की तर्ज पर स्टार एग्रोनॉमिक्स ने 26 जुलाई 2013 को देवरा सरिसताल में लाइम स्टोन की 207.737 हेक्टेयर माइनिंग लीज श्याम कुमार बंसल से हस्तांतरित करा ली। दिलचस्प यह भी है कि उक्त लीज हस्तांतरण के बाद वर्ष 2014 में स्टार एग्रोनॉमिक्स की कार्यप्रणाली में संशोधन हुआ और कृषि उत्पादन और विपणन पर आधारित यही कंपनी माइनिंग और सीमेंट उत्पादन के उदेश्यों के रुप में प्रकट हो गई।
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