नियमित शिक्षकों के 62 फीसदी पद खाली, फिर भी नए सत्र के लिए अतिथि विद्वानों को आमंत्रित नहीं किया

विक्रम विश्वविद्यालय में एक तरफ जहां नियमित शिक्षकों की भारी कमी है, वहीं दूसरी तरफ विश्वविद्यालय प्रशासन की उदासीनता के चलते अब तक नए सत्र के लिए अतिथि विद्वानों को आमंत्रित तक नहीं किया गया है। जिसके कारण ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया, काउंसलिंग सहित नए सत्र की कक्षाएं भी प्रभावित होंगी, जिसका नुकसान विद्यार्थियों को उठाना पड़ेगा।
विश्वविद्यालय में 13 वर्षों से नई भर्तियां नहीं हुई हैं। कई नियमित शिक्षक सेवा अवधि पूरी होने से सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जिसके कारण विश्वविद्यालय में नियमित शिक्षकों के लगभग 62 प्रतिशत पद खाली हैं। जिनकी पूर्ति अतिथि विद्वानों के माध्यम से की जाती है। कई अध्ययनशालाएं ऐसी भी हैं, जहां केवल एक ही नियमित शिक्षक है। इसके अलावा दर्शनशास्त्र, विदेशी भाषा, इंजीनियरिंग जैसी अध्ययनशालाएं भी हैं, जिनमें एक भी नियमित शिक्षक नहीं हैं आैर दूसरी अध्ययनशालाओं के शिक्षकों के पास इनका प्रभार है। इसके बावजूद विश्वविद्यालय ने सत्र 2020-21 के लिए अतिथि विद्वानों को आमंत्रित नहीं किया है, जबकि 30 जुलाई को ही उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय आैर कॉलेजों में सत्र 2020-21 में प्रवेश प्रक्रिया के सुचारू रूप से संचालन के लिए सभी शैक्षणिक स्टॉफ की उपस्थित 4 अगस्त से सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने अतिथि विद्वानों को लेकर अब तक कोई गंभीरता नहीं दिखाई है। ऐसी स्थिति में न तो विभागों में काउंसलिंग की प्रक्रिया पूरी हो सकेगी आैर न एडमिशन की संख्या बढ़ पाएगी। वहीं विद्यार्थियों की कोई ऑनलाइन कक्षाएं भी नहीं लग पाएगी। विश्वविद्यालय की समस्याओं से जुड़े मसले पर कुलपति डॉ. बालकृष्ण शर्मा आैर प्रभारी कुलसचिव डॉ. दिव्य कुमार बग्गा किसी भी सवाल पर जवाब देने को तैयार नहीं हैं। वहीं कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा का कहना है कि अतिथि विद्वानों को आमंत्रित किए जाने संबंधी प्रक्रिया के लिए राज्य शासन के उच्च शिक्षा विभाग से मार्गदर्शन मांगा गया है।
सर्वोच्च समिति दे चुकी है सहमति
विश्वविद्यालयों को नीति तय करने वाली सबसे सर्वोच्च समन्वय समिति का एजेंडा स्थायी समिति द्वारा तय किया जाता है, जिसमें विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति सदस्य होते हैं। समन्वय समिति की अध्यक्षता कुलाधिपति (राज्यपाल) द्वारा की जाती है। 2018 में हुई 95वीं समन्वय समिति की बैठक के एजेंडे में यह विषय रखा था, जिसमें शासकीय महाविद्यालयों में स्वीकृत एवं रिक्त पदों के विरुद्ध आमंत्रित अतिथि विद्वानों की नीति को मप्र में उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत संचालित शासकीय विश्वविद्यालयों में लागू करने का विषय रखा था। जिस पर स्थायी समिति द्वारा प्रत्येक विश्वविद्यालय में शासन द्वारा पूर्व में महाविद्यालयों के संबंध में जारी निर्देश लागू करने की सहमति दी थी। समन्वय समिति ने निर्णय दिया था कि शासकीय महाविद्यालयों के लिए जारी आदेश मार्गदर्शी होंगे और आदेश में वर्णित मानदेय को अपनाते हुए विवि स्वयं नियमों-अधिनियमों के अनुसार कार्रवाई करेंगे।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3fEPt84
0 Comment to "नियमित शिक्षकों के 62 फीसदी पद खाली, फिर भी नए सत्र के लिए अतिथि विद्वानों को आमंत्रित नहीं किया"
Post a Comment