जहां भगवान राम अपने पिता के मोक्ष के लिए आए थे, वहां फूल-पत्ती और मूर्तियों के साथ कचरा बहा रहे, चप्पल भी धो रहे

यह वही रामघाट है, किंवदंतियों के अनुसार जहां भगवान श्रीराम ने पिता दशरथ के मोक्ष के लिए तर्पण कराया था। वहां के इन चित्रों को देख कर हर कोई यही कहेगा- मां शिप्रा इन्हें क्षमा मत करना। शिप्रा में केवल अस्थियां ही नहीं, चिता की पूरी राख बहाई जा रही है। पूजन सामग्री, फूल-पत्ते आदि डाले जा रहेा। मूर्तियां विसर्जित हो रही। हैरत की बात यह है कि शिप्रा के जल का श्रद्धा से आचमन करने पर विश्वास रखने वाले उसी जल में अपनी चप्पलें धोने से भी नहीं चूक रहे। ऐसा तब हो रहा है जब घाट पर न केवल पुलिस, होमगार्ड का पहरा है, सफाई अमला भी तैनात है। पर लगता है ऐसा करने वालों को न कोई रोकता है न टोकता है। सवाल यह है कि फिर इतना अमला करता क्या है?
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