कायाकल्प अभियान: जिला अस्पताल को ढाई लाख, ओरछा पीएचसी को डेढ़ लाख का पुरस्कार

कायाकल्प अभियान में टीकमगढ़ जिला अस्पताल को इस बार सिर्फ सांत्वना पुरस्कार के रुप में 2.5 लाख रुपए मिले हैं। वहीं टीकमगढ़ का पलेरा सीएचसी सेंटर प्रदेश में 41वें स्थान पर है। हालांकि यहां भी सांत्वना पुरस्कार के रुप में 1 लाख रुपए का अवार्ड दिया गया है। इसके अलावा टीकमगढ़ के पीएचसी सेंटर अस्तौन, बुडेरा और लिधौरा और निवाड़ी जिले के तरीचर कला को 50-50 हजार रुपए का इनाम मिला है। साथ पीएचसी सेंटर ओरछा को 2019-20 जिले के विजेता के रूप में डेढ़ लाख रुपए का इनाम दिया गया है।
जिला अस्पताल टीकमगढ़, सीएचसी सेंटर पलेरा और पीएचसी सेंटर अस्तौन, बुडेरा, लिधौरा, तरीचरकला और ओरछा की सेवाएं बेहतर पाई जाने पर शासन ने इन अस्पतालों को पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की है। ईनाम की राशि को अस्पताल के विकास में लगाया जाएगा। जिससे इस साल फिर से और बेहतर रैंकिंग हासिल की जा सके।
सरकारी अस्पतालों की स्वास्थ्य सेवाओं में निखार लाने के लिए राज्य शासन ने जनवरी में छह बिंदुओं पर प्रदेश के बड़े-छोटे सरकारी अस्पतालों का सर्वे कराया। पहली बार में सीएमएचओ की टीम ने पलेरा सीएससी और पीएचसी सेंटर अस्तौन, बुडेरा, लिधौरा, तरीचरकला और ओरछा के संसाधन समेत अन्य व्यवस्थाओं को चेक किया।
उसके बाद भोपाल से आई स्वास्थ्य आयुक्त की टीम ने निरीक्षण में अस्पताल के इंतजामात को बेहतर पाया। इस आधार पर जिला अस्पताल को ढाई लाख रुपए, सीएचसी पलेरा को 1 लाख रुपए, पीएचसी सेंटर अस्तौन, बुडेरा, लिधौरा, तरीचरकला को 50-50 हजार रुपए के पुरस्कार देने के लिए चयनित किया है। साथ ही ओरछा पीएचसी सेंटर को जिले का विजेता मानते हुए डेढ़ लाख का पुरस्कार दिया गया है।
सिविल सर्जन डॉ. अमित चौधरी ने बताया कि पुरस्कार बतौर जो राशि मिलेगी उसे परिसर के विकास में ही लगाया जाएगा। उन्होंंने कहा कि आने वाले समय में और बेहतर व्यवस्थाएं करने की प्लानिंग करेंगे। जिससे आने वाले कायाकल्प अभियान में जिला अस्पताल प्रदेश में विजेता बना सके।
इन 6 बिंदुओं पर हुआ था निरीक्षण
1. अस्पताल भवन का रख-रखाव कैसा है।
2. अस्पताल में साफ-सफाई की स्थिति कैसी है।
3. कचरा प्रबंधन के लिए क्या इंतजाम किए गए हैं।
4. रसोई से लेकर चादरों की धुलाई, बिजली का मेंटेनेंस कराने की व्यवस्थाएं कैसी हैं।
5. पर्सनल हाइजीन : अस्पताल के कर्मचारियों की हर 3 महीने में जांच कराई जा रही है या नहीं। उन्हें किसी प्रकार का मर्ज या संक्रमण तो नहीं है।
6. अस्पताल परिसर के बाहर स्वास्थ्य विभाग की गतिविधियों के संचालन के लिए डॉक्टर्स से लेकर पैरामेडिकल स्टाफ ने क्या-क्या किया।
जिले में संसाधन और डॉक्टरों का अभाव
जिले में अस्पताल, सीएचसी और पीएचसी सेटरों में संसाधनों के साथ विशेषज्ञ डॉक्टरों का अभाव लंबे समय से है। जिला अस्पताल में विशेषज्ञ सर्जन, मेडिसिन व एनेस्थीसिया के डॉक्टर का पद खाली डला है। हर महीने 500 से 600 प्रसव के बाद भी यहां 2 स्त्री विशेषज्ञ के पद खाली हैं। अस्पताल के लिए स्वीकृत 27 विशेषज्ञों में 3 पदों पर डॉक्टरों को प्रमोशन देकर प्रभारी बनाया गया है। शेष 24 पद खाली डले हुए
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