घरों का साइज देखकर निगम वसूलेगा पानी, सफाई का बिल, लोगों की जेब काटने नया रास्ता
आपका घर यदि बड़ा है, उसमें अधिक कमरे हैं तो उसमें गर्व करने जैसी कोई बात नहीं, बल्कि कुछ दिनों बाद हो सकता है आपको पछताना पड़े, क्योंकि शासन आपके ऊपर जबर्दस्त चोट करने की तैयारी में है। अधिक बड़ा घर यानी आपको पानी का भी और सफाई का भी अधिक शुल्क देना पड़ेगा। इसमें यह नहीं देखा जाएगा कि आपके घर में कितने लोग रह रहे हैं बस यह देखा जाएगा कि आपके घर का आकार कितना बड़ा है।
यह प्रस्ताव तैयार हो चुका है और नगरीय निकायों से सुझाव माँगे गए हैं। नगर निगम में भी इसकी तैयारी की जा रही है। शासन की मंशा यह है कि निगम जिन सेवाओं में जितनी राशि खर्च कर रहा है उतनी या उससे अधिक आम लोगों से वसूली जाए। इसमें निगम की फिजूलखर्ची रोकने जैसे किसी भी प्रस्ताव का जिक्र नहीं है।
मोटे तौर पर यह माना जाता है कि नगर निगम सफाई पर 100 और जलापूर्ति व्यवस्था पर 100 करोड़ रुपए खर्च करता है। इस खर्च के बदले में निगम को बमुश्किल 28 करोड़ रुपयों की राशि ही मिलती है। इसमें डोर-टू-डोर शुल्क के रूप में पिछले साल 1 करोड़ 9 लाख रुपए मिले थे, जबकि जलशुल्क के रूप में 27 करोड़ रुपए आए थे। अब सवाल यह उठता है कि बचे हुए 172 करोड़ रुपए निगम कैसे वसूले बस इसी के लिए यह योजना तैयार की जा रही है।
जिसका जितना बड़ा घर होगा उससे उतनी ही अधिक राशि की वसूली की जाएगी। हालाँकि इसमें कई खामियाँ हैं जैसे मान लीजिए किसी का घर दो हजार वर्गफीट में बना है, लेकिन वहाँ केवल 2 लोग ही रहते हैं तो वे न तो अधिक पानी खर्च करेंगे और न ही अधिक कचरे का उत्सर्जन करेंगे। इसके ठीक उलट यदि किसी का घर हजार वर्गफीट में है और परिवार में अधिक सदस्य हैं तो वे निगम को मामूली राशि देकर भी दोनों सुविधाओं का लाभ लेंगे।
अभी इतना लिया जा रहा शुल्क
वर्तमान में नगर निगम जलशुल्क के रूप में सामान्य कनेक्शनधारी से 170 रुपए मासिक और 2040 रुपए सालाना वसूल करता है, व्यावसायिक कनेक्शनधारी से 530 रुपए मासिक और 6360 रुपए सालाना, वहीं गरीबी रेखा कार्डधारियों से 1 रुपए रोजाना के रूप में 360 रुपए सालाना जलशुल्क लिया जाता है, निगम के कुल 1 लाख 50 हजार नल कनेक्शनधारी हैं। इसी प्रकार सफाई के नाम पर निगम आवासीय करदाताओं से 1 रुपए प्रतिदिन और व्यावसायिक से 2 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से शुल्क वसूल कर रहा है। शहर में कुल दर्ज सम्पत्तियाँ 2 लाख 63 हजार हैं और निगम की डोर-टू-डोर शुल्क की डिमांड ही 8 करोड़ बन रही है। ऐसे में 100 करोड़ रुपए वसूलना असंभव नजर आता है।
जनता से पूछकर तो खर्च नहीं कर रहे
निगम जनता से सभी सुविधाओं के लिए बराबर की राशि वसूलना चाहता है, लेकिन जनता से पूछकर किसी सुविधा को तय नहीं किया जाता है। सफाई के लिए भर्ती किए गए कर्मचारियों में से करीब 500 ऐसे हैं जिन्हें दूसरे कार्यों में लगाया गया है। सड़कों को साफ करने के लिए रोड क्लीनर मशीनें लगाई गई हैं जिनका भारी भरकम किराया दिया जा रहा है, लेकिन इनका कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। पेयजल लाइनों के मामले में भी ऐसा ही है। रमनगरा की घटिया पाइप लाइन हर कुछ दिनों में टूट जाती है और लाखों रुपए लीकेज के नाम पर खर्च किए जाते हैं तो क्या यह राशि भी जनता से ही वसूली जाएगी।
संभागीय कार्यालयों में राशन हितग्राहियों के लिए खोली जाए अलग से खिड़की
जबलपुर। हर पात्र हितग्राही को राशन मिले और वह यहाँ-वहाँ न भटकें इसके लिए नगर निगम के संभागीय कार्यालयों में अलग से एक खिड़की खोलें और ऑपरेटर की नियुक्ति की जाये। यह निर्देश कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने निगमायुक्त को दिये। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत ऐसे हितग्राहियों के नाम पोर्टल पर जोड़ने हैं जिन्हें माह अगस्त तक राशन प्राप्त हो रहा था लेकिन पोर्टल पर नाम प्रदर्शित न होने की वजह से वे इससे वंचित हैं। उन्होंने बताया कि राशन से वंचित हितग्राहियों के नाम पोर्टल पर वापस जोड़ने का विकल्प स्थानीय निकायों की लॉग-इन में उपलब्ध कराया गया है। लेकिन नगर निगम के उत्तरदायी अधिकारियों द्वारा यह कार्य नहीं किया जा रहा है, इसके चलते लोग परेशान होकर कलेक्टर कार्यालय पहुँच रहे हैं अगर अब कहीं से भी शिकायत मिलेगी तो वे कार्यवाही के लिये तैयार रहें।
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