60% पहली बार ही बने थे पार्षद, आरक्षण में ऐसे उलझे कि सिर्फ दूसरे वार्ड में ही जाने का विकल्प
गौरव शर्मा/दिनेश जोशी, नगर निगम की पिछली परिषद में 60% पार्षद ऐसे थे जो पहली बार पार्षद बने थे। आरक्षण के बाद इनके पास सिर्फ दूसरे वार्ड से चुनाव लड़ने का ही विकल्प बचा है। इनमें भी ज्यादातर को टिकट मिलना मुश्किल है। इधर, वार्ड 6 से पार्षद दीपक जैन और वार्ड 7 के पार्षद मनोज मिश्रा का वार्ड पिछड़ा महिला हो गया है। वार्ड 29 से चुनाव जीतीं पूजा पाटीदार का वार्ड अनारक्षित हो गया है। पिछली बार निर्विरोध चुनाव जीतने वाले भरत पारख का वार्ड इस बार सामान्य महिला हो गया है।
सबसे सीनियर 5 बार के पार्षद कांग्रेस के छोटे यादव अभी 55 से जीते थे, पर वह सामान्य महिला हो गया है। यादव ने पांचों बार अलग-अलग वार्ड से चुनाव लड़ा है, छठी बार सदन में आने के लिए उन्हें फिर नया वार्ड तलाशना होगा। निगम में नेता प्रतिपक्ष रहीं फौजिया शेख अलीम का वार्ड 53 पिछड़ा वर्ग हो गया है। इस वार्ड में यादव और अलीम के बीच जद्दोजहद रहेगी, पूर्व मंत्री सज्जनसिंह वर्मा के भतीजे अभय वर्मा वार्ड 61 से पार्षद थे, अब यह वार्ड एससी महिला हो गया।
क्षेत्र 2 में विवाद का कारण बनीं पार्षद का भी वार्ड बदला
वार्ड 31 की पार्षद सरोज चौहान के निगम के पूर्व अपर आयुक्त रोहन सक्सेना से विवाद के बाद दो नंबर क्षेत्र के पार्षदों ने निगम जाना बंद कर दिया था। अब यह वार्ड अनारक्षित हो गया है।
विधायकों के करीबी उलझे
विधायक संजय शुक्ला के करीबी सर्वेश तिवारी की पत्नी अनिता वार्ड 9 से पार्षद थीं, अब ये वार्ड पिछड़ा पुरुष हो गया है। विधायक रमेश मेंदोला के करीबी चंदू शिंदे, मुन्नालाल यादव, राजेंद्र राठौर सहित सभी पूर्व पार्षदों को नए वार्ड में जाना होगा। विधायक महेंद्र हार्डिया के करीबी दिलीप शर्मा, प्रणव मंडल के भी यही हाल हैं।
नए दावेदारों के लिए मौके भाजपा-कांग्रेस दोनों ही दलों में वार्ड
आरक्षण के बाद नए दावेदारों के लिए विकल्प खुल गए हैं। भाजपा में नानूराम कुमावत, मनस्वी पाटीदार, सुमित मिश्रा, मुकेश राजावत जैसे नाम हैं तो कांग्रेस में अमन बजाज, बब्बू यादव, जया तिवारी, सुधा वर्मा, राजेश भंडारी जैसे दावेदार सामने आ रहे हैं। सिंधिया के साथ भाजपा में गए कांग्रेस नेताओं के समर्थकों का दावा भी भाजपा के टिकट पर होगा।
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