विरोधियों ने प्रतियां जलाईं, समर्थकों ने सोशल मीडिया पर किया समर्थन
नई शिक्षा नीति की घोषणा के साथ ही उसके पक्ष व विपक्ष में सड़क से सोशल मीडिया तक बहस छिड़ गई है। विरोधियों का कहना है कि यह उच्च शिक्षा को विश्व बाजार के अनुकूल बनाने नीति है। इस नीति के लागू होते ही उच्च शिक्षा के 50000 संस्थान - मर्जर, क्लोजर और टेक ओवर की नीति के जरिये 15000 में सीमित किए जाएंगे यानी 3 हजार से कम नामांकन वाले लगभग 35 हजार संस्थान बंद कर दिए जाएंगे। दूसरी ओर समर्थकों का कहना है कि नई नीति में पाठ्यक्रम का बोझ कम करने के साथ ही शिक्षा पर जोर दिया गया है।
विरोधी पक्ष : सड़कों पर उतरे छात्र
डीएसओ के बैनर तले छात्रों ने नगर पालिका के सामने विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने नई नीति की प्रतियां भी जलाई। संगठन के राज्य सचिव सचिन जैन ने कहा कि यह नीति शिक्षा के चौतरफा निजीकरण, व्यापारीकरण, व्यवसायीकरण व साम्प्रदायिकरण को बढ़ावा देगी। अजीत सिंह ने कहा कि 5 + 3 + 3 + 4 शिक्षा पद्धति से 3 से 6 साल की उम्र के बच्चों की शिक्षण प्रक्रिया उन आंगनबाड़ियों के हाथ में सौंप दी जाएगी जो पहले से ही वेंटिलेटर पर हैं। कक्षा 3,5,8 में ओपन लर्निंग को लागू कर ओर कक्षा 1 से 8 तक फेल न करने की नीति को जस की तस लागू रखना पूरी शिक्षा व्यवस्था को ही संकट में डाल देगा।
ऑनलाइन गोष्ठी: सिर्फ डिग्रीधारी मजदूर बनेंगे : प्रगतिशील लेखक संघ ने इस मुद्दे पर ऑनलाइन गोष्ठी रखी। इसमें अध्यक्ष सत्येंद्र रघुवंशी ने कहा कि नई नीति के बाद शिक्षण संस्थान घटेंगे, ऑटोनॉमी से शिक्षा महंगी होगी। भाषा और सामाजिक विज्ञान के विषयों की बाजार मे मांग न होने से इन पर संकट बढ़ेगा। वरिष्ठ सदस्य अतुल लुंबा ने कहा कि प्रोफेशनल कोर्सेज के संस्थान बंद होंगे।
समर्थन : व्यवहारिक ज्ञान पर जोर
शिक्षक व कर्मचारी संघ से जुड़े अनिल भार्गव का तर्क है कि नई नीति में बोर्ड परीक्षा को सरल बनाने, पाठ्यक्रम का बोझ कम करने के साथ ही बचपन की देखभाल और शिक्षा पर जोर दिया गया है. नई नीति में विद्यार्थियों को कौशल या व्यावहारिक जानकारियां देने और पांचवी कक्षा तक मातृभाषा में शिक्षा पर जोर दिया गया है। साथ ही छठी कक्षा के बाद से ही वोकेशनल एजुकेशन की शुरुआत हो जाएगी। 8 वीं से 11 वीं तक के छात्र विषय चुन सकते हैं। सभी सरकारी और निजी उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए एक तरह के मानदंड होंगे। किसी कॉलेज के लिए मान्यता का स्तर समान रहेगा। रेटिंग पर कॉलेज को फंड मिलेगा।
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