दसेड़ा ने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी या प्रशासन ने उनके कंधे का इस्तेमाल कर ‘दाग दी एफआईआर’

अवैध, अविकसित कॉलोनियों के मामले में पहली बार प्रशासन ने फ्रंट फुट पर खेलते हुए रसूखदार 8 कॉलोनाइजरों पर 10 एफआईआर करवाई। दूसरे ही दिन प्रशासन ने यह बयान जारी कर नया फ्रंट खोल दिया कि वर्तमान में जो भी 10 एफआईआर हुई हैं ये सारी तत्कालीन नपाध्यक्ष (अनिल दसेड़ा) द्वारा मानव अधिकार आयोग को लिखे गए एक पत्र के परिप्रेक्ष्य में ही की है। इसके मायने यह है कि जिन एफआईआर में खुद दसेड़ा व उनके भाई आरोपी हैं, वह कार्रवाई उन्हीं की मंशानुसार की गई।
दरअसल शनिवार देर शाम एसडीएम राहुल धोटे एवं कलेक्टर गोपालचंद डाड के आदेश पर नपा सीएमओ डॉ. केएस सगर ने 10 अवैध व कुछ विधिवत लेकिन अविकसित कॉलोनियों के मामले में 8 कॉलोनाइजरों पर सिटी व आईए थाने में एफआईआर दर्ज करवाई थी। इनमें राजेंद्र जयंत परिसर कॉलोनी मामले में पूर्व नपाध्यक्ष अनिल दसेड़ा, उनके भाई विजय दसेड़ा, पार्टनर शौकत खां, सत्य साईं विहार कॉलोनी, तिलक विहार कॉलोनी व एक अन्य मामले में भाजयुमो जिला महामंत्री राहुल ओस्तवाल, आदर्श नगर कॉलोनी मामले में भाजपा नेता प्रकाशचंद कोठारी, जैन कॉलोनी मामले में अनिल कोठारी, मंदसौर रोड कॉलोनी मामले में मोहम्मद आसिफ मिर्जा एवं संजय कॉम्प्लेक्स समेत तीन कॉलोनी मामले में कॉलोनाइजर एवं भूमि मालिक संजय गंगवाल को आरोपी बनाया है।

एसडीएम v/s पूर्व नपाध्यक्ष
तत्कालीन नपाध्यक्ष पत्र के परिप्रेक्ष्य में जांच के बाद एफआईआर करवाई : एसडीएम
^नगर में 142 कॉलोनियों में से 33 हैंडओवर हैं। 39 अविकसित होने से अहस्तांतरणीय तथा 70 पूर्णत: अवैध हैं। इन बाकी पर भी कार्रवाई जारी है। अभी जो एफआईआर हुई वह मानवाधिकार आयोग द्वारा प्राप्त उस पत्र के परिप्रेक्ष्य में है जो तत्कालीन नपाध्यक्ष ने ही आयोग को शिकायत के तौर पर भेजा था। आयोग ने उस पर संज्ञान लेकर प्रमुख सचिव, आयुक्त व कलेक्टर को पत्र जारी कर जांच व कार्रवाई के निर्देश दिए थे, उसी के पालन में संयुक्त दल गठित कर जांच करवाई और जिन 10 कॉलोनियों में कमियां पाई गई हैं, उनके कॉलोनाइजरों के विरुद्ध केस दर्ज करवाए हैं। कार्रवाई विधि अनुसार सही है।
राहुल धोटे, एसडीएम एवं प्रशासक नपा जावरा

हां मैंने पत्र लिखा था लेकिन वो कार्रवाई तो नहीं हुई, द्वेषता से हमें फंसाया : दसेड़ा
^मैं आज भी पूर्णत: अवैध कॉलोनियों में मूलभूत सुविधा दिलाने की लड़ाई में जनता के साथ हूं। जो पूरी तरह गलत कॉलोनियां काटी जा रही हैं, वहां प्रशासन कार्रवाई करे तथा लोगों को सुविधाएं दिलाए। मैंने दिसंबर 2019 में पत्र लिखा था और जनहित में सड़क पर भी लड़ाई लड़ी। यहां जो 10 केस बनवाए गए हैं। इसमें मेरी उस कॉलोनी के लिए हमें भी आरोपी बनाया जो खुद रेरा सर्टिफाइड है तथा सीएमओ ने यह लिखकर दे रखा है कि यहां सारे विकास कार्य पूरे हैं। जिस नाली को अधूरी बताया, वह हमने पूरी करवा दी। रोड सालों पहले बनी तो क्षतिग्रस्त हो गई। यानी अवैध कॉलोनियों की बजाय सीधे मेरे खिलाफ केस दर्ज करना द्वेषता नहीं तो क्या है।
अनिल दसेड़ा, पूर्व एवं तत्कालीन नपाध्यक्ष, जावरा

दाव-पेच अपनी जगह लेकिन अब डरेंगे बाकी माफिया, जनता का फायदा

इन एफआईआर की मंशा तो समय के साथ स्पष्ट होगी लेकिन प्रशासन की इस कार्रवाई का जनता को फायदा मिलेगा। नगर में 70 अवैध कॉलोनियां हैं, जिन पर भी प्रशासन यदि निगाह डालता है तो आमजन को मूलभूत सुविधाएं मिलेंगी। इन कार्रवाई के बाद अब सबकी निगाहें नगर के बाहरी क्षेत्र में कुकुरमुत्ते की तरह काटी जा रही बाकी अवैध कॉलोनियों पर टिकी है। यदि वहां भी प्रशासन ऐसी सख्ती कर सुविधाएं दिलाता हैं तो ज्यादा बेहतर होगा।

सभी कॉलोनाइजर आज कलेक्टर से मिलने जाएंगे
जिनके खिलाफ केस दर्ज हुए, उन सभी का कहना है कि हमने काम किए। बिना नोटिस के सीधे एफआईआर हुई। बल्कि हमने कई बार हैंडओवर के पत्र दिए लेकिन खुद प्रशासन ने जानबूझकर हैंडअोवर नहीं की। ये सारे प्रमाण हमारे पास हैं और इन्हें लेकर कलेक्टर
से मिलेंगे। रविवार को कुछ कॉलोनाइजरों ने कलेक्टर से मिलकर सोमवार को अपना पक्ष रखने का समय लिया है।



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