पिचिंग होती तो जून तक ठहर जाता पंछी ताल में पानी, जलस्तर भी अच्छा बना रहता

जनभागीदारी और वन विभाग के सहयोग से बनाए गए पंछी ताल में पिचिंग नहीं किए जाने से नवंबर के महीने में ही बारिश का पानी सूख गया। जबकि अगर इसकी पिचिंग बनाई जाती तो इसमें पूरे साल पानी बना रह सकता था। जिससे आसपास का जलस्तर भी बेहतर होता और इस क्षेत्र में आने वाले पशु पक्षियों को पीने के लिए पानी की भी व्यवस्था हो जाती।

वर्ष 2019 में पर्यावरणीय संस्था आईआरई- जंगल की पहल पर पर्यावरण प्रेमियों, स्थानीय प्रशासन और वन विभाग ने मिलकर बाराद्वारी क्षेत्र में गणेश चौक की पहाड़ी के पीछे वन्य क्षेत्र में पंछी ताल बनाया था।
वास्तव में यह गणेश चौक की पहाड़ी से आने वाले बरसाती पानी का स्टोरेज था। जिसे तकनीकी विशेषताओं के साथ बनाया जा रहा था। जिससे पूरे साल इसमें पानी बना रहता। लेकिन बाद में प्रशासन और वन विभाग ने इसमें रुचि नहीं ली और इसकी पिचिंग का काम अधूरा रह गया। युवा पर्यावरण प्रेमियों ने पंछी ताल को बनाने में बहुत रूचि ली थी। इस क्षेत्र में इस साल के बनने के बाद बुलबुल, मैना, मोर जैसे पक्षियों की संख्या तेजी से बढ़ गई थी। अब पंछी ताल के सूखने से यह पक्षी भी इस क्षेत्र से जंगल के दूसरे हिस्सों में चले गए हैं।



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If there was pitching, water would remain in the birds pool till June, water level would also remain good.


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