गैस पीड़ितों ने जलाया वारेन एंडरसन का पुतला, कार्यकर्ताओं ने बनाई मानव श्रृंखला

राजधानी भोपाल में घटित हुए गैस त्रासदी को आज 36 साल हो चुके हैं। लेकिन, गैस त्रासदी से मिले जख्म आज भी पीड़ितों के जहन और जिस्म में ताजा हैं। अपने इसी दर्द को आज गैस पीडितों ने मानव श्रृंखला के माध्यम से देश और दुनिया के सामने रखा। हर बार गैस पीडित भारत टॉकीज से लेकर यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री तक रैली निकालते थे। लेकिन इस बार कोरोना के चलते पीडि़तों ने यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के सामने ही मानव श्रृंखला बनाई। साथ ही पीडितों ने गैस कांड के मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन का पुतला दहन किया। इस श्रृंखला में मौजूद लोगों का बस यही कहना है कि इतने साल गुजर गए हैं। लेकिन हमें सरकार से कोई मदद नहीं मिल पा रही है। बता दें कि साढ़े तीन दशकों में कई सरकारें आई और गई, लेकिन त्रासदी के पीड़ितों का दर्द कम नहीं हुआ है। एक रिपोर्ट से सामने आया कि जहरीली गैस का शिकार बने परिवारों की दूसरी और तीसरी पीढ़ी तक विकलांग पैदा हो रही हैं। बताया जाता है कि गैस त्रासदी से सबसे ज्यादा बस स्टैंड, जेपी नगर, छोला, इब्राहिमगंज, नारियल खेड़ा, जहांगीराबाद जैसे इलाके प्रभावित हुए। कई इलाकों में आज भी बच्चे बीमार या शारीरिक और मानसिक रूप से अक्षम पैदा हो रहे हैं।

गैस कांड के मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन का पुतला दहन करते कार्यकर्ता।

प्रदेश सरकार कर रहीं पुनर्वास के अधिकारों का हनन

भोपाल में यूनियन कार्बाइड हादसे की 36 वीं बरसी के उपलक्ष्य में आज पीड़ितों के चार संगठनों ने पीड़ितों की बिगड़ती स्वास्थ्य और स्थानीय मिट्टी और भूजल में जारी प्रदूषण के लिए अमरीका की डाउ केमिकल कम्पनी का कानूनी जिम्मेदारी से भागने की तीव्र भर्त्सना की। संगठनों ने केंद्र और प्रदेश की सरकारों पर अपराधी कम्पनी से सही मुआवज़ा हासिल नहीं करने और पीड़ितों के इलाज और पुनर्वास के अधिकारों के हनन का आरोप लगाया।

गैस त्रासदी की बरसी पर एंडरसन का पुतला जलाने के साथ मानव श्रृंखला भी बनाई गई।

पांच हजार महिलाओं की एक हजार रुपए की मासिक पेंशन प्रदेश सरकार ने की बंद

भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्षा रशीदा बी ने कहा कि सन 2005 में डाउ केमिकल का भारत के बाजार में मात्र 2.5 % हिस्सा था, जबकि 2015 से इस कंपनी का भारतीय बाजार में हिस्सा बढ़ता जा रहा है और फिलहाल यह आंकड़ा 22 % तक पहुंच गया है। यह तय है की इस विदेशी कंपनी का हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ करीबी की वजह से ही ऐसा हो रहा है | इस बीच पिछले दिसंबर से गैस काण्ड की वजह से विधवा हुई। पांच हजार महिलाओं की एक हजार रुपए की मासिक पेंशन प्रदेश सरकार के द्वारा बंद कर दिया गया है।

गैस पीडि़तों ने यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के सामने ही मानव श्रृंखला बनाई।

मौतों का सरकारी आंकड़ा वास्तविक आंकड़े से पांच गुना कम

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कोरोना महामारी से मारे गए गैस पीड़ितों के झूठे आंकड़े पेश करने का आरोप लगाते हुए भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एण्ड एक्शन की रचना धींगरा ने कहा कि "हम सरकारी अधिकारियों को चुनौती देते हैं कि वे ऐसा एक सबूत पेश करें कि पिछले 36 सालों में हमने कभी तथ्यात्मक और वैज्ञानिक आधार के बगैर कोई बात कही हो | यह वही पुराना सरकारी छल है, हादसे की वजह से हुई मौतों और पीड़ितों को हुई बीमारियों के बारे में सरकारी अधिकारी गैस काण्ड की सुबह से ही झूठ बोलते आ रहे हैं | मौतों का सरकारी आँकड़ा वास्तविक आँकड़े से पांच गुना कम है और 90 % से अधिक गैस पीड़ितों के बारे में यह बताया जा रहा है कि उन्हें सिर्फ एक बार अस्पताल जाना पड़ा |"

बंद पड़े हैं गैस कांड के दूरगामी प्रभाव पर सरकारी चिकित्सीय शोध

भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष नवाब खान ने कहा,कि "पिछले दस सालों में केंद्र तथा प्रदेश सरकारों के अधिकारियों ने हमें सर्वोच्च न्यायालय में अमेरिकी कंपनियों से अतिरिक्त मुआवज़ा के लिए लंबित सुधार याचिका में मौतों और बीमारियों के आंकड़े सुधारने का लिखित आश्वासन दिया है, लेकिन इन आश्वासनों को कभी पूरा नहीं किया गया। दूसरी तरफ गैस कांड के दूरगामी प्रभाव पर सरकारी चिकित्सीय शोध या तो बंद कर दिया गया है या दबा दिया गया है। गैसजनित पुरानी बीमारियों का इलाज आज भी लाक्षणिक दवाओं से हो रहा है, पीड़ितों के पुनर्वास का काम बंद पड़ा है और मिट्टी और भूजल की ज़हर सफाई के लिए कोई सरकारी योजना तक नहीं है।

भोपाल में जारी अन्याय से कंपनियों को मिला पर्यावरण के खिलाफ अपराध जारी रखने का प्रोत्साहन

डाउ कार्बाइड के खिलाफ नौशीन खान ने कहा कि भोपाल के गैस पीड़ितों और दुनियाभर में औद्योगिक प्रदूषण से बीमार लोगों पर कोरोना महामारी के भयावह असर ने रसायन कंपनियों पर कानूनी शिकंजा कसने की ज़रुरत को बड़े शिद्दत से रेखांकित किया है | पिछले 36 सालों में भारत और अमेरिका की न्याय व्यवस्था यूनियन कार्बाइड और डाउ केमिकल से कानून का पालन करवाने में नाकाम साबित हुई है। भोपाल में जारी अन्याय और बदहाली से कम्पनियों को मानवता और पर्यावरण के खिलाफ अपराध जारी रखने का प्रोत्साहन मिल रहा है |



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गैस त्रासदी पर यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के सामने चार संगठनों के कार्यकर्ताओं ने मानव श्रृंखला बनाई और गैस कांड के मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन का पुतला दहन किया।


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