वैक्सीन लगवाने वाले दो वॉलेंटियर्स पाॅजिटिव, पीपुल्स ने दूसरे डाेज की लिस्ट से नाम हटाया
भारत बायाेटेक की काेवैक्सीन के तीसरे चरण के क्लीनिकनल ट्रायल में पीपुल्स मेडिकल काॅलेज में ट्रायल वैक्सीन का पहला डाेज लगवाने वाले 2 वॉलेंटियर्स की रिपाेर्ट काेविड पाॅजिटिव आई है।
इसके चलते इन वॉलेंटियर्स के नाम काॅलेज प्रबंधन ने वैक्सीन का दूसरा डाेज लगवाने वाले वॉलेंटियर्स की लिस्ट से हटा दिए हैं। संबंधित वॉलेंटियर्स, ट्रायल वैक्सीन का पहला डाेज लगाने के ठीक पहले लिए गए सैंपल का आरटीपीसीआर तकनीक से हुए काेविड टेस्ट में पाॅजिटिव निकले हैं। इसकी पुष्टि पीपुल्स मेडिकल काॅलेज के एक सीनियर डाॅक्टर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर की है।
ट्रायल गाइडलाइन का उल्लंघन करने का आराेप
रविवार काे गैस पीड़िताें के संगठन भाेपाल ग्रुप फाॅर इनफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढीगरा ने वॉलेंटियर्स के साथ वर्चुअल कॉन्फ्रेंस की। इसमें उन्हाेंने पीपुल्स मेडिकल काॅलेज प्रबंधन पर ट्रायल गाइडलाइन का उल्लंघन करने का आराेप लगाया है। काॅलेज डीन डाॅ. अनिल दीक्षित ने सभी आरोपों को खारिज किया है।
आमने-सामने: जबरन किसी को नहीं किया ट्रायल में शामिल
ट्रायल का तरीका गलत, सही जानकारी नहीं दी
वैक्सीन ट्रायल का तरीका गलत है। लोगों को न तो सही जानकारी दी है और न ही उसके प्रतिकूल प्रभाव के बारे में बताया जा रहा है। इसी कारण एक व्यक्ति की मौत हो गई और अस्पताल प्रबंधन ने सुध भी नहीं ली। एक ही क्षेत्र के गरीब लोगों को ट्रायल में शामिल कर लिया।
-रचना ढींगरा, सदस्य-भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन
हर व्यक्ति की ट्रायल से पहले काउंसलिंग की गई
हर व्यक्ति की ट्रायल में शामिल होने के पहले काउंसलिंग की गई थी। जबरन किसी को शामिल नहीं किया। 1700 से ज्यादा लोग शामिल हुए। जिन्हें तकलीफ हुई, उनका फाॅलोअप भी किया और आगे भी किया जाएगा। लोग घबराएं नहीं। वैक्सीन से किसी की मौत नहीं हुई है।
-डॉ अनिल दीक्षित, डीन, पीपुल्स मेडिकल कॉलेज भोपाल
टीम ने बुलाया, बाहर की दवा लिखकर घर भेज दिया
ट्रायल वैक्सीन लगवाने वाले छाेटू दास ने बताया कि टीका लगने के 3 दिन बाद क्लीनिकल ट्रायल टीम के एक सदस्य ने जांच रिपाेर्ट काेविड पाॅजिटिव हाेना बताया। साथ ही इलाज के लिए अस्पताल बुलवाया, जहां पर्चे पर अस्पताल के बाहर प्राइवेट स्टाेर्स पर मिलने वाली दवाएं लिखकर घर भेज दिया।
जबकि ट्रायल गाइडलाइन के अनुसार जांच से लेकर इलाज तक का जिम्मा काॅलेज प्रबंधन का था। बकाैल छाेटू दास, अस्पताल प्रबंधन ने सेहत दुरूस्त हाेने पर बुलावाया और वीडियाे बनाने की काेशिश की। प्रबंधन चाहता था कि वह जांच, इलाज व जरूरी दवाएं मुहैया कराए जाने का बयान दे।
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