केसरवानी काॅलेज प्रकरण; कोविड का बहाना, नहीं दे रहे नोटिस का जवाब

केसरवानी कॉलेज गढ़ा फाटक की संपत्ति के मामले में चल रहे खेल में अब नया खेल शुरू हो गया है। मामले को लेकर तहसीलदार ने नोटिस दिया था जिस पर उनके द्वारा यह बहाना बनाया जा रहा है कि कोरोना वायरस संक्रमण फैल रहा है जिसके चलते उन्हें और समय दिया जाये। यह बात उन्होंने लिखित में नहीं दी, बल्कि मौखिक रूप से संबंधित नोटिस का उत्तर देते हुए कही।
तहसीलदार ने खरीददार और विक्रेता के साथ ही केसरवानी ट्रस्ट को नोटिस जारी किया और कहा था कि जब तक जवाब और पूरे दस्तावेज नहीं मिल जाते तब तक इस प्रकरण में रजिस्ट्री के साथ ही बिक्री पर भी रोक रहेगी। बताया जाता है कि संपत्ति की रजिस्ट्रियाँ कॉलेज को संचालित करने वाली मप्र केसरवानी शिक्षा समिति द्वारा की जानी हैं। जो रजिस्ट्रियाँ की जानी हैं उसके लिए समिति संपत्ति का सौदा कराने वालों से चर्चा करना चाह रही है। कुल मिलाकर मामला उलझा हुआ है।
खरीददार रजिस्ट्री कराने अब भी परेशान, चल रही साजिश
परमीशन है या नहीं - पता चला है कि किसी भी ट्रस्ट या संस्था की जमीन बेचने के लिये संबंधित क्षेत्र के एसडीएम से परमीशन की आवश्यकता पड़ती है। साथ ही फर्म एण्ड सोसायटी का भी इसमें दखल रहता है। जिन लोगों को जमीन बेची गई है उनको यह भी नहीं पता कि इस जमीन को बेचने की परमीशन है या नहीं। विवादित जमीन होने के कारण अब खरीददार परेशान हो गये हैं और अपने पैसे वापस माँग रहे हैं।
यह है पूरा प्रकरण - समिति के पदाधिकारियों का यह भी कहना है रजिस्ट्री करने से पहले उनको फर्म एवं सोसायटी में जो राशि जमा करनी है उसकी व्यवस्था उनके पास नहीं है, जैसे ही व्यवस्था हो जाएगी रजिस्ट्रियाँ कर दी जाएँगी। उल्लेखनीय है कि केसरवानी कॉलेज गढ़ा फाटक की करीब 11 हजार वर्गफीट जमीन का सौदा करीब दो-ढाई साल पहले 11 लोगों को लगभग 11 करोड़ रुपए में किया गया था, जिनमें केवल दो लोगों की ही रजिस्ट्रियाँ की गई हैं।
केसरवानी कॉलेज प्रकरण में हमने खरीददार और विक्रेता दोनों को नोटिस जारी कर दिया है। इस संबंध में उनसे जवाब माँगा गया है कि अगर ट्रस्ट की जमीन है तो बिना परमीशन के बेची कैसे। अगर परमीशन ली है तो किससे ली है दस्तावेज पेश करें।
-प्रदीप मिश्रा, तहसीलदार अधारताल
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