स्कूलों में नहीं पहुंच रहे शिक्षक, बच्चे पढ़ाई के समय खेल रहे गिल्ली-डंडा
कोविड-19 के चलते करीब सात माह से स्कूल बंद हैं। निजी स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई शुरू की गई तो सरकार ने भी शिक्षकों को प्राथमिक व माध्यमिक वर्ग के बच्चों को घर या मोहल्लों में पढ़ाने के लिए हमारा घर-हमारा विद्यालय योजना शुरू की, लेकिन स्कूलों में शिक्षक नहीं पहुंच रहे हैं। बच्चे पढ़ाई के समय गिल्ली-डंडा सहित अन्य खेल खेलते नजर आते हैं। कुछ रोड किनारे के स्कूलोें में शिक्षक पहुंचते भी हैं, लेकिन अंदर के गांवों में शिक्षक एक दो बार शाला आकर घर बैठे ही कागज पर या ऑनलाइन खानापूर्ति कर रहे हैं। इधर आदिवासी बच्चों व उनके पालकोें को तो पता भी नहीं है कि सरकार ने ऐसी कोई योजना शुरू की है।
खालवा ब्लाक में सबसे ज्यादा खराब स्थिति, आंवलिया रोशनी संकुल के स्कूलों की है। हाईस्कूल व हायर सेकंडरी के बच्चे तो अपनी कठिनाई दूर करने के लिए आंशिक रूप से स्कूल जा रहे हैं, लेकिन प्राथमिक व माध्यमिक के बच्चों की छुट्टी ही चल रही है। हमारा घर, हमारा विद्यालय कार्यक्रम के तहत गांव, मोहल्लों में जाकर बच्चों को टीवी या मोबाइल पर भी पढ़ने का तरीका बता सकते हैं। लेकिन आदिवासी वनग्रामों में यह दोनों ही उपकरण उपलब्ध नहीं हैं। हमारा घर हमारा विद्यालय योजना की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी बीआरसी व जनशिक्षकों को दी गई है। वे भी बगैर घर से निकले ही कागजों में स्कूल संचालन दिखाकर खानापूर्ति कर रहे हैं। क्षेत्र के केकडिया, रानीझीरी, तावखेड़ी, अंबाड़ा, भोजूढाना, बोरढाना, ईटवा,खातेगांव, विक्रमपुर, मथनी, चड़ीदा बाबढ़िया, गुलाई आदि क्षेत्रों में पढ़ाई औपचारिकता मात्र हुई है।
योजना में यह कार्य शामिल
हमारा घर, हमारा विद्यालय योजना में प्रतिदिन शिक्षकों को मोहल्ले में 5 बच्चों को पढ़ाना, ग्रामीणोें से संपर्क, वर्कबुक कराना, होम वर्क देना, रेडियो प्रसारण सुनाना, मूल्यांकन तथा बच्चों का पंजीयन व प्रवेश आदि शामिल हैं।
निरीक्षण कर रहे हैं
^जनशिक्षकों द्वारा सतत निरीक्षण की जा रही है। जिन शिक्षकों द्वारा हमारा घर हमारा विद्यालय योजना का रिकार्ड संधारित नहीं किया जा रहा हैं या लापरवाही की जा रही हैं, उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
सचिन जायसवाल, जनशिक्षा केंद्र प्रभारी, अांवलिया
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