राज बंदियों को दिया जाए क्षमादान और मजदूरों से आठ घंटे ही कराया जाए काम

वैश्विक महामारी के दौर में लॉक डाउन के नियमों का पालन करते हुए माले कार्यालय पर प्रतिवाद दिवस मनाया गया। जिसमें केंद्र व राज्य सरकारों से मजदूर हितैषी कानून में बदलाव को लेकर विरोध प्रकट किया गया तथा जेलों में बंद राज बंदियों को को रिहा किए जाने की मांग की गई।
माले के नेता का. देवेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा मजदूर हितैषी कानूनों में बदलाव किया गया है। इसका पुरजोर विरोध किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मजदूरों के कार्य समय बढ़ाकर जो 8 घंटे की 12 घंटे किया गया है जो मजदूर वर्ग को दास प्रथा की ओर ले जा रहा है। यह गुलाम बनाए जाने की साजिश है। इसीलिए इसका विरोध किया जा रहा है।
पार्टी की नेता सूरज रेखा त्रिपाठी ने बताया कि केंद्र सरकार राज्य सरकारों के साथ ही राष्ट्रपति से यह भी मांग की गई है कि जेलों में बंद राज बंदी जिनमें कई 70 साल से अधिक आयु के भी हैं एवं महिलाओं जिनमें गर्भवती भी है, इनको तुरंत रिहा किया जाए एवं उनके क्षमादान की घोषणा की जाए।



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The prisoners should be given pardon and the laborers should be given eight hours of work


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